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कविता

तुम्हारा प्यार

गगन सा निस्सीम,  धरा सा विस्तीर्ण,  अनल सा दाहक,  अनिल सा वाहक,  सागर सा विस्तार, …

आकांक्षा

थक चले हैं पाँव, बाँहें माँगती हैं अब सहारा।  चहुँ दिशि जब देखती हूँ, काम बिखरा बहुत सारा॥  …

जागृति

जितना मैं झुकती हूँ,  उतना झुकाते हो।  जितना चुप रहती हूँ,  उतना ही सुनाते हो॥ लचीली…

मेरा सर्वस्व

जीवन में है मिला बहुत कुछ इससे कब इन्कार किया? जो भी पाया, जितना पाया, सबसे मैंने प्यार किया॥  …

नित – नव उदित सफ़र 

सफ़र है कहीं, सुहाना।  पर कहीं अनुतरित्त प्रश्नों के साए में,  कहीं कोई आहत मन,  हर साँस…

इन्द्रधनुषी लहर 

सुदूर देश की पुरवाई से  आख़िर आ ही जाती है,  मन की धानी परतों की इन्द्रधनुषी लहर . . . …

पिता का दिल 

मज़बूत शरीर है यह जो दिखता  अंदर मेरे भी है— कोमल सा दिल, मेरा अपना।  है धुँधली सी, पर…

पिता 

रह जाता है अनकहा, अनगिना, जबकि कई बार  उम्र के कई मोड़ पर पिता का वह प्यार॥   है अगर, पिता…

नया साल 

नए साल के नए सूरज की, नई किरणें कह रही,  चुपके से आ हर द्वार– नई उमंगें, नए सपनों का इन्द्रधनुष, …

बसन्त आया था

बसंत-ऋतु का जादू भरमाती,  प्रकृति इतराती, निखारती रूप  जगत में करती उमंग-बहार का पसेरा। …

ये पत्ते

अभी कल ही तो ये पत्ते शाख से जुड़े,  एक प्राण, एक मन,  एक जीव हो फले–फूले,  अपने…

एक मुट्ठी संस्कृति

ये एक कारवाँ  है एक अनवरत सिलसिला।  जो बाँध अपने साथ अपने शहर,  गली की यादों को …

जीवंत आसमान की धरती का जादू

कृषि धन-धान्य से परिपूर्ण,  सस्काचेवन और इसके आसपास के क्षेत्र की धरती  जहाँ असीमित आसमान…

राह

मैंने ख़ुद को जब भी दुविधाओं में पाया है,  न जाने क्यों तुम्हारा ही चेहरा मेरे सामने उभर आया है…

मुस्कान

मेरे मन में बोझिल मंज़र तेरे मन में गहरे साये  फिर भी सुबह के होने पर  हम दोनों ही तो मुस्काए…

अग्नि के सात फेरे 

अग्नि के सात फेरे  साथ-साथ जीने मरने की क़समें  और सात जन्मों का साथ  माता पिता का आशीर्वाद …

माँ और स्वप्न

प्रार्थना किया करता था  रोज़ मैं अपने भगवान से,  मुझको ऐ मालिक मिलवा दे  मेरी प्यारी माँ…

ये पैग़ाम देती रहेंगी हवायें

कभी तो वो हमदम हमारे बनेंगे    कभी तो छटेंगे ये बादल ग़मों के कभी तो ये मौसम सुहाने बनेंगे…

उम्र के तीन पड़ाव 

1. तब बात कुछ और थी तब रास्ता लम्बा ज़रूर लगता था मगर,  रास्ते के तमाम मंज़र बड़े ही लुभावने, तसल्लीदार…

वह

वह,  पुरातन ग्रन्थ सी,  सिर्फ़ बैठक की शेल्फ पर सजती हैं।  वह,  सस्ते नॉवेल सी, …

 तुम कहाँ खो गए . . . प्राण

हथेली पे मेहँदी नहीं,  महल सजाया था . . .  तेरे संग मैंने,  नया जग बसाया था . . . …

हर बार

कुछ यादें कुछ बातें रत्ती भर मोहब्बत माशा भर प्यार छूट गया उस गली के मोड़ पे मिले गर उठा कर रख लेना। …

आना-जाना

इस बार का तेरा आना,  यह भी हुआ क्या आना?  न रही ठीक से,  न ठीक से पिया, न ही खाया, …

पिता हो तुम

गर्मी की दोपहर में जल कर जो साया दे वो दरख़्त हो   बच्चों की किताबों में जो अपना बचपन ढूँढ़े वो “उस्ताद”…

माँ हिन्दी

माँ हिन्दी  तुम मात्र मेरी आवाज़ की  अभिव्यक्ति नहीं हो  तुम वो हो  जिसे सुनने के…

कैकयी तुम कुमाता नहीं हो

अध्यात्म की ओर बढ़ो राजन,  मोह का त्याग करो  इन वचनों के साथ मुनिराज विश्वामित्र  का …

कृष्ण संग खेलें फाग

नभ धरा दामिनी नर नारी रास रंग राग  भाव विभोर हो सब कृष्ण संग खेलें फाग      सूर्य…

साँवरी घटाएँ पहन कर जब भी आते हैं गिरधर

साँवरी घटाएँ पहन कर जब भी आते हैं गिरधर तो श्याम बन जाते हैं   बाँसुरी अधरों का स्पर्श पाने को…

कटघरा

जाने क्यों और कैसे रोज़ ही अपने को कटघरे में खड़ा पाती,  वही वकील,  वही जज,  और वही …

आईना

कई दिनों बाद अपने आप को आज आईने में देखा,  कुछ अधिक देर तक कुछ अधिक ग़ौर से!    रूबरू…

मुलाक़ात

नहीं है, तो न सही फ़ुर्सत किसी को,  चलो आज ख़ुद से,  मुलाक़ात कर लें . . .   वो मासूम बचपन, …

पेड़

पेड़ ये ऐसे हरियाये फिर जैसे कभी झड़े न थे,  खा पछाड़ ओलों से  धरती पर पड़े न थे।  मुस्काते…

माँ! मैं तुम सी न हो पाई! 

मैं,  उलटती-पलटती रही इस अनुभूति को बहुत देर,  दिल और दिमाग़ के बीच की रेखा पर तौलती रही इसे, …

चिड़िया का होना ज़रूरी है

पेड़ पर फुदकती है चिड़िया पत्ते हिलते, मुस्कुराते चिड़िया पत्तों में भरती है चमक,  डाली कुछ लचक कर…

मूड (Mood) 

दिन की शतरंजी बिसात पर  हर बार रखा मैंने अपने मूड को उठा कर  तुम्हारे मूड की चाल के अनुसार…

गुरुदेव

गुरुदेव तुम्हारे चरणों में करती हूँ अर्पित,  मन के भाव सारे आज तुझे है समर्पित।    तृष्णा,…

मेरी बिटिया, मेरी मुनिया

पूजा के थाल का चंदन हो तुम फूलों की ख़ुश्बू, रंगत हो तुम   जैसे भजनों की भावना हो तुम जैसे ईश की…

अधूरी रह गई

जाने की उन्हें ज़िद थी, वो मुलाक़ात अधूरी रह गई होठों तक आयी तो मगर वो बात अधूरी रह गई।    साथ…

चंदा, क्या तुम भी एकाकी हो? 

जीवन के दीर्घ विस्तार समान फैले इस अनंत आसमान की इस मधुमय सावन-संध्या में शायद मुझ सी बिन साथी हो चंदा,…

मैं नदी हूँ

निकल कर पहाड़ों की गोद से मैं लहराती, इठलाती,  अल्हड़ बाला सी मस्ती में उछलती पत्थरों पर कूदती वृक्षों…

लेखनी से संवाद 

एक दिन लेखनी कवयित्री से बोली— क्यों रख छोड़ा है मुझे एक कोने में उठा लो मुझे कुछ कसरत करा दो तभी…

हमारे पूर्वज

हमारे बड़े कहीं जाते नहीं वो यही रहते हैं . . .  हमारे मध्य . . .  वो झलकते हैं कभी किसी के…

मेरा बचपन वाला ननिहाल

स्मृति पटल पर अंकित है,  आज भी,  मेरा प्यारा ननिहाल,  गर्मी की छुटियों का बस होता था …

धारा ३७०

निर्भय श्वास ले रहा, आज लाल चौक पर तिरंगा,  सशक्त करों में झूम रहा, जैसे शिव जटा में गंगा। …

परिक्रमा

ओ मेरी बिरहन रूह कैसी तेरी भटकन कैसी तेरी जिज्ञासा,  ले गई मुझे किन रास्तों पर तेरी अद्भुत आकांक्षा! …

तू मिलना ज़रूर 

ओ अनादि सत्य  ए क़ुदरत के रहस्य  तू चाहे चिलकती धूप बन मिलना या गुनगुनी दोपहर की हरारत बन, …

प्रवास 

कितना शुभ रहा होगा वो पल  जिस पल लिया गया था निर्णय कैनेडा तुम्हें अपनाने का यह किन्हीं पुण्य कर्मों…

वायरस

यहाँ विदेश में  मेपल दरख़्त पत्तों की खड़खड़ाहट लदे फूल खिलखिलाती क़ुदरत घरों के अन्दर खिले फूल…

लाईक ए डायमण्ड इन द स्काई

हवा में उड़ते चमकते बिछलते टूटते  आकाशीय तारे कब बिखरे  मेरी धरती पर,  बन कीड़े मकोड़े …

लिफ़ाफ़ा 

एक लिफ़ाफ़े में घर की ख़बर आयी हैं सौंधी मिट्टी सी यादें बन घटा छाई हैं सिलवटों में पन्नों के आँखें टटोलें…

चार्ली हेब्दो को सलाम करते हुए

[पेरिस की कार्टून पत्रिका चार्ली हेब्दो को जहाँ 2015 में आतंकियों ने 12 लोगों को मार डाला था] …

रोबॉट

मशीनी हाथ  पेड़ को ज़मीन से काट  कर देते हैं अलग  मशीनी हाथ तने को उठा  छाँट देते…

मेरे टेलीस्कोप में धरती नहीं है

अध्ययन कक्ष में  अपने आसपास घना अँधेरा रच कर  टेबल लैंप की केंद्रित रौशनी में  खुली आँखों…

निज भाग्य विधाता

नहीं है आवश्यकता,  किसी ज्योतिषी की मुझे,  क्यों कि,  जो समझ रही हूँ,  “कि…

आ गया बसंत है 

आ गया बसंत है उत्सुकता से, आतुरता से,  अपलक नयन बिछाये,  जग कर रहा प्रतीक्षा जिसकी, …

कुछ कहा

गहन भारी-भरकम अत्याधिक दारुण समस्याएँ जीवन कष्टकर दिन पर दिन बनाएँ रोज़ी-रोटी लेन-देन दवा-दारू साफ़-सफ़ाई …

मेरी माया

कविता की किताब पढ़ते-पढ़ते आँख लग गई मैरी ओलिवर ने पूछा  क्या करोगी अपनी इकलौती उत्कृष्ट ज़िन्दगी…

मधु स्मृति 

अवसादों की भीड़भाड़ में,  और विषाद के परिहास में,  प्राणों के सूने आँगन में,  अश्कों के…

अश्रु 

अश्रु, तुम अंतर की गाथा  चुपके चुपके कहते  अंतरतम को खोल,  जगत के आगे रखते,  तुम…

निमंत्रण 

तुमने मुझे  धरती पर  इस उत्सव में  आने का निमंत्रण  दिया था,  और मैं अपने गीत …

मैं हवा हूँ

मैं हवा हूँ बड़ी दूर की,  महकती, चहकती सुन्दर बयार।  आप जानते हैं मुझे,  आस पास ही रहती…

मेरी पहचान

मुझे मेरी उम्र से मत आँको,  मेरे बालों के रंग से भी नहीं,  न मेरे नाम, न मेरे भार से, मेरे…

चिट्ठियाँ

आज मैंने बहुत सारी चिट्ठियाँ फाड़ डालीं,  बरसों से फ़ोल्डर में रखी हुई थीं,  कभी कभी निकाल…

वह कोने वाला मकान 

अब मैं उस कोने वाले मकान में नहीं रहती हूँ, अब उस मकान में कोई और ही रहता है। उस मकान में आकर उसे घर…

एक दिया जलाया

आज मैंने भी एक दिया जलाया, देखती रही उसे देर तक! सोचती रही, सब इसकी लौ में लपेट लूँगी। और ले जाऊँगी…

आशीर्वाद

वह जल्दी से मेरे पैर छूकर चला गया,  आशीर्वाद के शब्द बोलती मैं उसके पीछे पीछे आई तो पर वह चलता…

बंधन

बहुत चाहा कह दूँ तुम्हें  लेकिन भींच लेता हूँ मुट्ठी में  कसकर सोच की लगाम  चाहे कितना…

सोंधी स्मृतियाँ

अम्मा के आँचल में था ख़ुश बचपन मेरा चन्दा के घर था परियों का डेरा  पलकों पर नींदें थीं  सपनों…

स्त्री

प्रेम से उद्वेलित हूँ तो विष से भी हूँ लबरेज़ राग-द्वेष-आक्रोश सब समाहित हैं मुझमें यूँ न देख मुझे नहीं…

रेत

मेरी कोमल देह पर पाँव रखकर सुकून पाने वालो भूल न जाना  मेरी तपन के तेवर  मुझे मुट्ठियों में…

ज़िन्दगी का साथ 

ज़िन्दगी का साथ शर्तों के बिना निभता नहीं है।    शर्त व्यापी जगत में वह जीत में है, हार में…

छोटे–बड़े सुख

बेटे का मुँह भर माँ कहना,  बेटी का दो पल संग रहना,  मेंरे सुख की छाँह यही है,  इसके आगे…

सिमटने के दिन

दिन सिमटने के मगर,  मन माँगता विस्तार क्यों है?    कट गई है आयु काफ़ी नाचते विधि की धुनों…

दुविधा

क्यों लिखूँ, किसके लिये?  यह प्रश्न मन को बींधता है।    लेख में मेरे जगत की कौन सी उपलब्धि…

दिशाभ्रम

मैं अच्छा-भला चल रही थी।  सहज गति से, उन्मुक्त रूप से,  गाते हुए, प्रकृति का आनन्द लेते हुए, …

मैं और मेरी कविता 

कभी कभी मुझे ऐसा होता है प्रतीत,  कि मेरी कविताओं का भी  बन गया है अपना व्यक्तित्व। …

अपेक्षायें 

आरम्भ से अबतक दूसरों की अपेक्षाओं को सुनने-समझने तथा पूरा करने के प्रयास में लगी-लगी, मैं भूल ही गयी…

प्रश्न

यह प्रश्नचिन्ह क्यों बार-बार?  क्यों उसे जीत, क्यों मुझे हार?  यह प्रश्न उठे क्यों बार-बार? …

सन्नाटे

सन्नाटे चीखते हैं मेरी चारदीवारी मेंं  मरघट से लौटती साँसें,  थम गयी हैं नक़ाबों मेंं …

रोज़ सुबह

रोज़ सुबह  किरणों के जागने से पहले  घर होता जाता है ख़ाली  जाते हो तो एक टुकड़ा मुझे भी…

इत्मीनान 

बस रहने दें, अब बस भी करें,  धम्म से पसरें धरती पर,  हाथों पर हाथ धरे,  कुछ न करें .…

मन की आँखें

मन की आँखें खोल रे बन्दे,  अपने मन को तोल रे बन्दे,  बोल प्यार के बोल रे बन्दे,  भर मन…

कुछ अनकही बातें 

कुछ पल होते हैं तन्हाई के मायूस मन फड़फड़ाता है  भीड़ में  कोई चिठ्ठी है बंद बोतल में  जिसे…

गोवर्धन उठा लो

पल भर में भय का बादल छाया जो बुन रही थी सपने कभी दरारें उनमें पड़ने लगीं आखिर मोड़ ऐसा क्यों आया? क़ुदरत…

सादी – उत्सव या संस्कार?

साल उन्नीस सौ पैंसठ गन्ना कटाई के मौसम  सेठ के लड़कक सादी के दिनवा तय भय जिस दम  देखत सादिक…

ये दीवाली वो दीवाली

क्या याद है तुम्हें अपनी वो दीवाली उस गाँव के छोटे से घर पर अब तो कई साल बीत गए हैं छूट गया गाँव टूट…

ऐ थम जा मदहोश परिंदे!

ऐ थम जा मदहोश परिंदे! ये चाँद सी तड़प सूरज सी जलन अरमानों को राख कर देगा हमारे सपनों को ख़ाक कर देगा…

तुझे छोड़ के हम कहीं नहीं जाएँगे

मेरे वतन फीजी! तुझे छोड़ के हम कहीं नहीं जाएँगे यही रहेंगे हम तेरे पास और तुझे दुनिया का स्वर्ग बनाएँगे…

महफ़ूज़

कभी तेरे कंधे पर बैठकर घूमा करते थे कभी तेरी गोदी में बैठकर क़िस्सा सुना करते थे कभी एक थाली में साथ…

पिंजरा

एक छोटी सी पोटली एक मीठा सा सपना लेकर झगरू चला सात समुद्र पार बारह सौ मील दूर जब आँख खुली तो पाया रमणीक…

फीजी हिंदी हमार मातृभासा 

फीजी हिंदी हमार भासा कोई से पूछ लो आइके देख लो फीजी के लोग है कुछ अलग हमार बात फीजी बात है बहुत सुन्दर…

पीपल की छाँव में

पीपल की छाँव में अपने गाँव में बचपन में झूला करती        थी झूला हरियाली के मौसम…

सावन की हवाएँ 

मेरे राजा भइया      सावन की हवाएँ          चल रही हैं …

अपना फीजी 

दुलहन सी सजी-धजी  अप्सरा सी मनमोहक  प्रकृति में सिमटी हुई  पग पग घाटी के आँचल  …

हमार गाँव

दूर पहाड़न में बसा रहा,  आपन सुन्दर गाँव हरा-भरा खेतन रहिन,  अउर अंगनम अमवक छाँव।   लोग…

बहादुर लड़की

ज्योति पासवान तुम्हारे हौसले बुलंद इरादों के चर्चे फैल चुके हैं दूर तक देश-विदेश में, तुम कौन हो? मुझे…

हम आदिवासी हैं

हमें प्यार है जंगल से  गिरते झरने, पहाड़ी नदियाँ  भाती हैं दिल को महुआ की मादक गंध महका देती…

न्याय होगा शोषितों के हाथ

आज मन में आया मैं भी क्यों न उठा लूँ हाथों में बग़ावती लाल झंडा शोषितों की क़तार  दलितों से शुरू…

मृगतृष्णा की क़ीमत 

करमी जाती है नंगे पाँव  खेत में  रोपती है धान मुर्गी, बत्तख, बकरियों के बीच रहती है …

गमलों के सोवनियर

पर्वतों के पीछे से आज फिर रिस रहा है लहू शायद फिर हो रहा है कोई हलाल काटा जा रहा है किसी का शीश अभी…

श्रेष्ठाणु

तीन प्रकार के  अणुओं से मिलकर  बनता है हमारा रक्त पढ़ा था मैंने  विज्ञान की पुस्तकों में…

नहीं चाहिए रामराज्य

छीनना चाहते हो  समस्त संसाधन मान-सम्मान और अधिकार बनाना चाहते हो एक बार फिर अपने पैरों की जूती। …

मैं नीच और तुम महान

वह मैं ही था जिसने सौंप दिया अपना राज-पाट जंगल और ज़मीन तुम्हारे माँगने पर तीन पग में जानते हुए भी तुम्हारा…

क्या हम मनुष्य नहीं हो सकते?

मेरा रंग रूप नैन नक़्श  बल, बुद्धि और प्रकृति  थोड़ी बहुत भिन्न हो सकते हैं  परन्तु फिर…

घोषणा

सुना है मैंने   वो करता है पैदा मुझे  अपने पैरों से क्योंकि उसका मस्तिष्क  काम नहीं करता…

जादुई छड़ी

कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं हो सकती  उससे भी टेढ़ी सनातन धर्म  और उसकी सड़ी-गली व्यवस्था है …

बाढ़ की विभीषिका 

तुम कहाँ हो  वह देखो छप्पर पर बहा जा रहा आदमी  दूसरे छप्पर पर साँप बिच्छू  गाँव पूरा…

प्रमथ्यु जाग रहा है

वर्ण व्यवस्था के पृष्ठपोषक हैं द्युपितर1  श्रमिक हैं प्रमथ्यु2 यहाँ  युगों से अंधविश्वास,…

अपना घर

दूसरे का घर बनाने में  अपना ही घर नेस्तनाबूत कर देना कितना बेमानी है सच को सच नहीं कह  झूठ…

इतिहास

इतिहास बदलने की बातें कर  कितनी बाह्य ख़ुशी मनाओ  भीतर के घाव को दबाओ  इतिहास ऐसे नहीं…

चोट 

पथरीली चट्टान पर हथौड़े की चोट  चिंगारी को जन्म देती है  जो जब तब आग बन जाती है  आग में…

मेरे सहयोगी

शिखरों पर चढ़ने की लालसा  पैर फिसलने से नीचे खिसक आती है  अदम्य उत्साह  बुलंद हौसला …

अपनी विवशता 

दुख और पीड़ा के अग्नि स्नान के बाद  गीले अनुभवों की तौलिया लिए पोंछता हूँ मानस पटल कंकड़नुमा चुभन …

शम्बूक अट्टहास कर रहा है

“शम्बूक मारा गया। उसकी हत्या हो गई। अपने समय की सर्वोच्च सत्ता से वो टकरा गया था।“ अख़बार…

डर

आज़ाद लबों से डर है उनको खुले ख़्यालों से डर है उनको रीत बदलने से डर है उनको बन्द दिमाग़ों से नहीं खुली…

प्रेम में घर से भागी लड़कियों की सहेली होना...

यूँ तो दोस्त सहेलियाँ घर कुनबे गाँव के सदा निशाने पर रहते आए हैं बिगाड़ने वाले  दिमाग़ ख़राब करने…

पानी

नदियों का देश हमारा सर्वाधिक बरसात का भी यूँ बाढ़ भी आई ही रहती है मगर औरतें रात भर जागती हैं मीलों…

प्रेमचंद

सुख-दुख हर्ष विषाद  न्याय अन्याय वाद-विवाद। विचार संवेदना। सहते सब हैं, कहते सब हैं,  दर्द…

बाँस का बच्चा

सोसाइटी में मरम्मत कार्य चल रहा है  मिस्त्री मजदूर आ गए हैं  लग्ज़री कार से आया ठेकेदार आदेश…

जनेऊतोड़ लेखक

जनेऊ-तोड़ लेखक   लेखक महोदय बामन हैं और हो गये हैं बहत्तर के विप्र कुल में जन्म लेने में कोई कुसूर…

कर्तव्य भर नफ़रत

बहुत चली मुहब्बत की बातें उनकी ओर से  नफ़रतें उगाते रहे ज़मीं पर जबकि  वे भीतर बाहर लगातार  …

थर्मामीटर

कहते हो – बदल रहा है गाँव। तो बतलाओ तो – गाँवों में बदला कितना वर्ण-दबंग? कौन सुख-अघाया,…

ब्राह्मणवाद की विष-नाभि की थाह में

मैं गह्वर में उतरना चाहता हूँ  ब्राह्मणवाद की गहराई नापने  पाना चाहता हूँ उसकी विष-नाभि का…

सुनो द्रोणाचार्य

सुनो द्रोणाचार्य!   अब लदने को हैं दिन तुम्हारे छल के  बल के  छल बल के   लंगड़ा ही…

किताब

बहुत अर्से पहले प्राइमरी कक्षा में मैंने लाइब्रेरी से ली हुई किताब गुमा दी फिर टीचर को डरते डरते बताया…

सवेरा बुनती स्त्रियाँ

स्त्रियाँ उलझनों में अपना सवेरा बुन रही हैं रुलाई की सिलाइयों को मज़बूती से पकड़े हुए चढ़ाती हैं संघर्ष…

फूलन 

तुम मारी नहीं जा सकीं फूलन हत्यारों की तमाम कोशिशों के बावजूद   चंबल के उबड़ खाबड़ पठारों से लेकर …

यात्रा में स्त्री

एक स्त्री लगातार चल रही है,   अपने हिस्से की ज़मीन तलाशती बीहड़ के बीच ढूँढ़ते हुए पानी के स्रोत,…

बरनी

माँ ने बड़े मन से मँगवाई थी खुर्जा से एक बड़ी और मज़बूत चूड़ीदार ढक्कन वाली बरनी जिसमें डाला करती थी वो…

बुद्ध अगर तुम औरत होते

1. बुद्ध अगर तुम औरत होते तो इतना आसान नहीं होता गृहत्याग शाम के ढलते ही तुम्हें हो जाना पड़ता नज़रबंद…

तुम्हारा कोट

तुम्हारे कोट को छुआ तो यूँ लगा कि जैसे तुम हो उसके भीतर उसके रोम- रोम में समाये तुम्हारी ही गंध व्यापी…

हमारी कविता

तुम कविता पर होकर सवार लिखते हो कविता और हमारी कविता रोटी बनाते समय जल जाती है अक़्सर कपड़े धोते हुए …

गृहणी

कुशल गृहणी  ताउम्र जोड़ती है  एक-एक पाई  गाँव की महिलाओं या पुरुषों द्वारा  चलाई…

प्रश्न

मैं स्त्री, तुम पुरुष तुम लड़के, मैं लड़की मैं पत्नी, तुम पति ज़रा बताओ तो तुम्हारे और मेरे बीच केवल 'इंसान'…

लॉक डाउन -3

प्रसव नहीं था, रण था क्या जानो तुम, कितना मुश्किल क्षण था। नहीं समझ पाएँगे वो जो मखमल पर सोते हैं। कैसे…

परख

सभ्यताएँ मिटती नहीं मिटाई जाती हैं। इतिहास मिटता नहीं मिटाता जाता है। जनता डरती नहीं डराई जाती है ।…

बलिगाथा

वामन और बलि की गाथा सुनी आपने बारम्बार उसी कथा को ज़रा समझकर आज सुनाऊँ पहली बार।   बलि था राजा असुर…

क्योंकि मैं अनुसूचित ठहरा!

सदियों सदियों यही हुआ है मौन मुखर सबकुछ सहता हूँ आज भी प्रचलित यही प्रथा है दफ़्तर में दब कर रहता हूँ।…

हमारी मुलाक़ात

वह बहुत ख़ुश थी उसे यहाँ पहुँचने में कोई परेशानी नहीं हुई थी। उत्साह से वह बताने लगी, जब थी पाँच की तभी…

हरिजन ज़हर 

गाँव में क़स्बे वही थे, पृथक स्कूल नये थे ठाकुर, पंडित के हम पर प्रभाव बड़े थे, उनकी घृणित अधिकार दृष्टि…

संघर्ष अभी बाक़ी है...

प्रभु ने कहा- तुम नीच हो, अछूत हो, जन्मे हो, मेरे पैरों से; सबकी सेवा, तुम्हारा धर्म है। मैं तुम्हें…

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