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शंकर दा

“शंकर दा नहीं रहे मुनिया।” “ओह“ शंकरदा की उम्र हो चुकी थी। अभी-अभी मिल के आ…

क्या ख़ूब ज़माना ये, इक वो भी ज़माना था

1962 में मैं उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत मण्डल के इलाहबाद सब-डिविज़न में एस। डी। ओ। लगा हुआ था। हमारे…

एक याद

मार्च का आरंभ था। दूसरा सत्र समाप्त होने वाला था। इस कारण स्कूल में पढ़ाई का ज़ोर बढ़ चला था। मार्च की…

एक साधारण सी औरत

वह सचमुच एक अत्यंत साधारण सी औरत थी। लोगों की आँखों के सामने से गुज़र जाए तो कोई उस पर ध्यान भी नहीं…

पहला गिरमिटिया – एक संस्मरण

गाँधी जयंती पर बचपन का क़िस्सा याद आ गया। नई इंग्लिश स्कूल में 8वीं कक्षा में कला शिक्षक पंडित केसकर…

फीजी के मनीषी पं. विवेकानंद शर्मा को याद करते हुए

सन्‌ १९६५ की जुलाई, हिंदू कॉलेज के एक कॉरीडोर में मैं रैगिंग कर रहा था। जिनकी रैगिंग हो रही थी,…

सुषम बेदी कुछ बातें, कुछ मुलाक़ातें... 

(जन्म- 1 जुलाई1945 – निधन- 25 मार्च 2020)    स्तब्ध हूँ! यक़ीन नहीं हो रहा है.... एक…

गुरु, प्रेरक, सखी

  1966-69 के दौरान मैं दिल्ली विश्विद्यालय से बी.ए. कर रही थी; हिंदी मेरा ऑप्शनल विषय था; प्राध्यापक…

सुषम बेदी की याद में

कुछ लोग जीवंतता के प्रतीक होते हैं। सदैव हँसते, मुस्कुराते, जीवन को जीतते से प्रतीत होते हैं। ऐसे लोगों…

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