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विशेषांक

ब्रिटेन के प्रसिद्ध लेखक तेजेन्द्र शर्मा का रचना संसार

तेजेन्द्र शर्मा जी ब्रिटेन के प्रसिद्ध कहानीकार हैं। उनका नाम ब्रिटेन की ही नहीं अपितु विश्व के चर्चित हिन्दी कथाकारों में आता है। उनके साहित्य की चर्चा गोष्ठियों में होती है और उन पर कई छात्र शोध कार्य भी कर रहे हैं। उन्होंने भारत से बाहर भारतीय मूल के लेखकों को हिन्दी साहित्य समाज में स्थान दिलाने के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किए।

 

जन्म और बचपन : 21 अक्टूबर, 1952 को पंजाब के शहर जगराँव के रेलवे क्वार्टरों में। पिता वहाँ के सहायक स्टेशन मास्टर थे। उचाना, रोहतक (अब हरियाणा में) व मौड़ मंडी में बचपन के कुछ वर्ष बिता कर 1960 में पिता का तबादला उन्हें दिल्ली ले आया। पंजाबी भाषी तेजेन्द्र शर्मा की स्कूली पढ़ाई दिल्ली के अंधा मुग़ल क्षेत्र के सरकारी स्कूल में हुई।
शिक्षा : दिल्ली विश्विद्यालय से बी.ए. (ऑनर्स) अँग्रेज़ी एवं एम.ए. अँग्रेज़ी, कम्प्यूटर कार्य में डिप्लोमा
प्रकाशित कृतियाँ :
कहानी संग्रह -

  1. स्मृतियों के घेरे (समग्र कहानियाँ भाग-1) (2019)

  2. नयी ज़मीन नया आकाश (समग्र कहानियाँ भाग-2) (2019)

  3. मौत... एक मध्याँतर (2019)

  4. ग़ौरतलब कहानियाँ (2017)

  5. सपने मरते नहीं (2015)

  6. श्रेष्ठ कहानियाँ (2015)

  7. मेरी प्रिय कथाएँ (2014)

  8. प्रतिनिधि कहानियाँ (2014)

  9. दीवार में रास्ता (2012)

  10. क़ब्र का मुनाफ़ा (2010)

  11. सीधी रेखा की परतें (2009)

  12. बेघर आँखें (2007)

  13. यह क्या हो गया! (2003)

  14. देह की कीमत (1999)

  15. ढिबरी टाईट (1994)

  16. काला सागर (1990)

कविता एवं ग़ज़ल संग्रह -

  • ये घर तुम्हारा है... (2007 - कविता एवं ग़ज़ल संग्रह)

  • मैं कवि हूँ इस देश का (द्विभाषिक कविता संग्रह)

अँग्रेज़ी की पुस्तकें -

  • Building Bridges (A collection of bilingual poems – 2014)

  • Grave Profits (Collection of Short Stories – 2013)

  • Black & White – the Biography of a Banker (2007)

  • John Keats - TheTwo Hyperions (1977)

  • Lord Byron - Don Juan (1976)

अन्य लेखन :  दूरदर्शन के लिए "शांति" सीरियल का लेखन
अनूदित कृतियाँ : Profits (अंग्रेज़ी - कहानियां), Building Bridges – ( Bilingual Poems), ढिबरी टाइट, एवं कल फेर आंवीं नाम से पंजाबी, इँटों का जंगल नाम से उर्दू तथा पासपोर्ट का रंगहरू नाम से नेपाली में भी उनकी अनूदित कहानियों के संग्रह प्रकाशित हुए हैं। तेजेन्द्र शर्मा की कहानियां उड़िया, मराठी, गुजराती, चेक भाषा एवं अंग्रेज़ी में भी अनूदित हो चुकी हैं।
तेजेन्द्र शर्मा के लेखन पर उपलब्ध आलोचना ग्रन्थ :

  • तेजेन्द्र शर्मा – वक़्त के आइने में (2009) 

  • हिन्दी की वैश्विक कहानियां (2012)

  • कभी अपने कभी पराये (2015)

  • प्रवासी साहित्यकार श्रंखला (2017) 

  • मुद्दे एवं चुनौतियां (2018) 

  • तेजेन्द्र शर्मा का रचना संसार (2018) 

  • कथाधर्मी तेजेन्द्र (2018) 

  • वैश्विक हिन्दी साहित्य और तेजेन्द्र शर्मा (2018) 

  • प्रवासी कथाकार तेजेन्द्र शर्मा (2019) 

  • प्रवासी हिन्दी साहित्य और तेजेन्द्र शर्मा (2019) 

  • भारतेतर हिन्दी साहित्य और तेजेन्द्र शर्मा (2019)

  • कथा त्रिकोण – संपादक श्रीनिवास श्रीकान्त (एस.आर हरनोट, मनीषा कुलश्रेष्ठ एवं तेजेन्द्र शर्मा का लेखन संसार)

शोध : विभिन्न विश्वविद्यालयों से तेजेन्द्र शर्मा की कहानियों पर अब तक दो पीएच. डी. और दस एम. फ़िल. की डिग्रियाँ हासिल की गईं।
 

विशेष :

  • कहानी अभिशप्त चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के एम.ए. हिन्दी के पाठ्यक्रम में शामिल

  • कहानी पासपोर्ट का रंग गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, नोयडा के एम.ए. हिन्दी के पाठ्यक्रम में शामिल

  • कहानी क़ब्र का मुनाफ़ा मुंबई विश्वविद्यालय की बी.ए. के पाठ्यक्रम में शामिल

  • कहानी अभिशप्त चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के एम.ए. हिन्दी के पाठ्यक्रम में शामिल

  • कहानी ‘पासपोर्ट का रंग’ चेन्नई के महाविद्यालयों एवं गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, नोयडा के एम.ए. हिन्दी के पाठ्यक्रम में शामिल

  • कहानी ‘कोख का किराया’ कलकत्ता विश्वविद्यालय

  • बेघर आँखें – गोवा विश्वविद्यालय।


अभिनय व प्रसारण :    

  • दिल्ली रेडियो स्टेशन पर 1973-1978 तक ड्रामा आर्टिस्ट रहे व अनियमित उद्घोषक का काम भी किया। इसी काल में दिल्ली में मंच नाटकों में भी सक्रिय रहे। 

  • दूरदर्शन के लिये शांति सीरियल की लेखन टीम का हिस्सा रहे और करीब 140 एपिसोड लिखने का मौक़ा मिला।

  • अन्नु कपूर द्वारा निर्देशित फ़िल्म अभय में नाना पाटेकर के साथ अभिनय करने का अवसर भी मिला।

  • बी.बी.सी. लन्दन, ऑल इंडिया रेडियो व दूरदर्शन के कार्यक्रमों की प्रस्तुति, नाटकों में भाग एवं समाचार वाचन।

  • ऑल इंडिया रेडियो व सनराईज़ रेडियो लन्दन से बहुत सी कहानियों का प्रसारण।

  • तेजेन्द्र शर्मा की ग़ज़लों के दो ऑडियो सीडी और कहानियों की एक सीडी कहानियों की जारी हो चुकी है। 

पुरस्कार : 

  • ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय द्वारा एम.बी.ई. (मेम्बर ऑफ़ ब्रिटिश एम्पायर) की उपाधि 2017

  • केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा का डॉ. मोटुरी सत्यनारायण सम्मान – 2011

  • यू.पी. हिन्दी संस्थान का प्रवासी भारतीय साहित्य भूषण सम्मान 2013

  • हरियाणा राज्य साहित्य अकादमी सम्मान – 2012

  • ढिबरी टाइट के लिये महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी पुरस्कार  - 1995 तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के हाथों 

  • भारतीय उच्चायोग, लन्दन द्वारा डॉ. हरिवंशराय बच्चन सम्मान (2008)

  • टाइम्स ऑफ़ इण्डिया समूह एवं आई.सी.आई.सी.आई बैंक द्वारा एन.आर.आई ऑफ़ दि ईयर 2018 सम्मान

  • मध्य प्रदेश सरकार का निर्मल वर्मा सम्मान -2017

अन्य साहित्यिक गतिविधियाँ : 

  • तेजेन्द्र शर्मा कथा यू.के. संस्था के महासचिव हैं और ब्रिटेन की संसद के हाउस ऑफ़ कॉमन्स में अंतरराष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा सम्मान का आयोजन प्रतिवर्ष करते हैं।

  • ब्रिटेन के लेखकों के लिये पद्मानन्द साहित्य सम्मान का आयोजन प्रतिवर्ष करते हैं।

  • भारत, ब्रिटेन, कनाडा और अमरीका के भिन्न शहरों में हिन्दी कहानी कार्यशाला का आयोजन और प्रवासी हिन्दी साहित्य सम्मेलनों का आयोजन भी करते हैं। 

संप्रति : लंदन के ओवरग्राउण्ड रेल्वे में कार्यरत।

अन्य कड़ियाँ : 

तेजेन्द्र शर्मा | साहित्य कुञ्ज

तेजेन्द्र शर्मा | विकिपीडिया

तेजेन्द्र शर्मा | अनुभूति-अभिव्यक्ति

तेजेन्द्र शर्मा | गद्य कोश

तेजेन्द्र शर्मा | हिंदी समय

तेजेन्द्र शर्मा | रचनाकार

रचनाकार | तेजेन्द्र शर्मा की 19 कहानियाँ – एमपी 3 ऑडियो बुक फ़ॉर्मेट में

 

डॉ. शैलजा सक्सेना (विशेषांक संपादक)

तेजेन्द्र जी पर यह विशेषांक निकालते हुए हमें बहुत प्रसन्नता हो रही है। तेजेन्द्र जी का नाम १६ कहानी-संग्रहों के लिए ही नहीं, बल्कि कविता, ग़ज़ल, अनुवाद, अंग्रेज़ी भाषा की कविताओं और कहानी लेखन, पटकथा-लेखन तथा अभिनय आदि अनेक कार्यों के लिए भी प्रसिद्ध है। कार्यक्रमों के आयोजन, संस्था-संचालन, पत्रिका संपादन और पुरस्कार समारोह आयोजन आदि द्वारा उन्होंने ब्रिटेन में हिंदी प्रचार-प्रसार का काम भी बहुत किया है और अनेक उच्च कोटि के पुरस्कारों को प्राप्त कर के ब्रिटेन को हिंदी के मानचित्र पर अविचल कर दिया है। हमें ऐसे लेखक बहुत कम देखने को मिलते हैं जो पढ़ाई-लिखाई की दुनिया से बिल्कुल अलग तरह की ’फ़ुल टाइम’ नौकरी करते हुए इतना लिखें और अच्छा लिखें। 

कोई व्यक्ति इतना काम कैसे कर लेता है? तेजेन्द्र जी का परिचय पढ़ने के बाद यह प्रश्न स्वाभाविक रूप से मन में उठता है। विदेश में अपने को जमाने के संघर्ष में ही आधा जीवन और तीन-चौथाई ऊर्जा ख़र्च कर देने वाले हम जैसे लोगों का यह प्रश्न स्वाभाविक ही है। उत्तर इसका केवल एक ही है कि इसके लिए जुनून चाहिए, एक अनुशासन चाहिए जिसके चलते लगातार काम किया जा सके। तेजेन्द्र जी में ये दोनों हैं। उन्होंने और उनके जैसे बहुत से अच्छे लेखकों ने ’प्रवासी हिन्दी लेखकों’ की छवि को पुराने आलोचकों की उपेक्षित दृष्टि से निकाल कर, पूरे भारतवंशी लेखक समाज को प्रतिष्ठा दिलाई है। 

उनकी कहानियों में हमें भारत और ब्रिटेन दोनों मिलते हैं साथ ही इन दो देशों के बीच की यात्राएँ मिलती हैं जहाँ भारतीय और विदेशी विचार और परिवेश, जीवन के लालच, अधिक पाने की दौड़, आदमी की बदली हुए प्राथमिकताएँ दिखाई देती हैं। पाठक उनकी कहानियों में अपने समय और समाज की स्थितियों के साथ-साथ अपने आप को भी विभिन्न भूमिकाओं में देख कर उनसे जुड़ पाता है। दूसरे के दर्द को देखने के साथ, उस दर्द में छिपी ’आइरनी’ यानि विडंबना को देख कर उसको भी ज्यों का त्यों लिख पाना तेजेन्द्र जी की सफलता का सूचक होती है। उनकी कहानियों में दर्द को समझने वाली आँख की नमी के साथ, उस स्थिति की विडंबना पर वक्र मुस्कुराहट भी है जो उन्हें अन्य कहानीकारों से अलग करती है। ’क़ब्र का मुनाफ़ा’ हो या ’शवयात्रा’ ऐसी ही अनेक कहानियों में से हैं जहाँ पाठक स्तब्ध सा मनोवृत्तियों के गु़लाम बने पात्रों को मर्यादा की, शिष्टता की सीमाएँ लाँघते देखता रहता है। 

इस विशेषांक के अनेक लेखों में तेजेन्द्र जी के साहित्य पर अनेक आयामों से विचार किया गया है जो न केवल उन के साहित्य पर काम करने वाले शोधार्थियों के लिए लाभदायक होगा, अपितु उनके साहित्य पर गहराई से विचारने वालों के लिए भी सहायक होगा, ऐसा हमें विश्वास है। तेजेन्द्र जी की लेखनी प्रखरता के साथ निरंतर चलती रहे और हिन्दी साहित्य को अनेक मणि-रत्न देती रहे, हम यही मनाते हैं। तेजेन्द्र जी को हमारी बधाई और समस्त शुभकामनाएँ!

- डॉ. शैलजा सक्सेना

(विशेषांक सह-संपादक)

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