आह! वो लड़की
काव्य साहित्य | कविता ओंकारप्रीत18 Aug 2012
वो लड़की
मुझे कविता सी लगी
मैंने उसे फूल भेजे
फूलदान के बिना
तो उसने कहा:
"फूलदान के बिना
क्या फूल भला?"
आह! वो लड़की
कविता सी
’लगने’ और ’होने’
का अंतर रह गई॥
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