आई रे होली
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता डॉ. प्रमोद सोनवानी 'पुष्प'1 Mar 2019
आई रे रंगों की होली ॥
तरह-तरह की ले पिचकारी,
ताक-धिना-धिन नाचें गायें।
रंग-रंगीला मोहक टोली,
आओ मिलजुल करें ठिठोली॥1॥
गालों पर गुलाल लगायें,
इक दूजे से हाथ मिलायें।
रंग प्यार का यूँ बरसा दें,
भर जाये ख़ुशियों से झोली॥2॥
भूल-भुलाकर भेद-भाव को,
मस्ती का त्यौहार मनायें।
बैर भाव को करें किनारा,
मुख से बोलें सुन्दर बोली॥3॥
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