आईने ने सुना दी कहानी मिरी
शायरी | ग़ज़ल अनन्त कौर2 Jan 2003
आईने ने सुना दी कहानी मिरी
याद मुझ को दिलाई जवानी मिरी
जाने क्या बात थी सोचते ही जिसे
रुक गई धड़कनों की रवानी मिरी
बात पहुँची मिरी उसके होंठों तलक
काम आई मिरे बेज़बानी मिरी
वो जहाँ भी था अपना समझता मुझे
बात इतनी भी कब उसने मानी मिरी
बेतलब बेसबब मुस्कुराती हुई
वो थी तस्वीर शायद पुरानी मिरी
तुझसे बिछुड़ी हूँ लेकिन मैं तन्हा नहीं
अब मिरे साथ है रायगाँनी मिरी
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