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आँकड़े यमराज के

यमराज की कोरोना लिस्ट चित्रगुप्त की लापरवाही से मुझे लीक हो गई।

समूचे संसार के डाटा से, क्षुद्र– इंडिया के डाटा को, अलग कर पाना यूँ तो नामुमकिन था मगर देहाती कम्पूयटर मास्टर के सिखाए कुछ गुरु मंत्रों ने काम कर लिया।

तब गुरु जी को हम कहते  थे, "गुरुजी आप टाइम-पास किये दे रहे हो। बड़े-बड़े डाटा अनालिसिस का अपने को कभी वास्ता ही क्या पड़ना है? हमको मिडिल-हाईस्कूल में फेल होने वाले, या कम नंबर पाने वालों का अता-पता मिल सके बस इतना सिखा दो . . .।"

गुरूजी के प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते . . .! 

उनको कहते, "समझिये सर, इन अक्ल के पैदलों को ट्यूशन के लिए पकड़ना होता है। इनके माँ बाप को कन्विन्स  करा के, कम्प्यूटर नालेज बाँटने का मक़सद है। हम इसी उ्द्देश्य से कम्प्यूटर सीखने आ रहे हैं।"

गुरूजी को तब के दिए बयान और आज की स्थिति में ज़मीन आसमान का फ़र्क़ हो गया।

हमने चन्द्रगुप्त से आग्रह किया, "एक बार भारत दर्शन करा देवें . . ." हमारी चिरौरी को . . . जी हाँ . . . अति चापलूसी के साथ विनती को, अपने तरफ़ इसी नाम से जानते हैं, जिसे उन्होंने मान लिया।

शर्त रखी कि ‘एक झलक’ देख पाओगे . . .? उन्हें इत्मीनान था कि भक्त में हैसियत नहीं कि इफ़रात लम्बे डाटा को कोई याद कर पचाने की ताक़त भी रख सकता है!

हमने मंज़ूर वाली गर्दन, ”देख ली तस्वीरे यार” नुमा झुकाते  हुए, कमीज़ के फ़्रंट पाकेट में रखे मोबाइल कमरे को संचालित किया, उनके ‘भारत-दर्शन’ कोरोना आँकड़े को तहे दिल उतार लिया।

ग़नीमत उधर ‘कम्पूटर क्रांति’ की हवा फैली नहीं थी, सो एतराज या शक की किसी सुई के चुभने जैसा सारोकार नहीं हुआ।

हमने गुप्त जी से आगे की चिरौरी अमेरिका बाबत की, तफ़सील से कारण बताया उस देश में हमारे बच्चे फँसे हैं . . . वे टॉप सीक्रेट वाला ठप्पा दिखा कर हमारी बोलती बंद कर दिए। हमें लगा, यही ख़ास फ़र्क़ अपने मेनेजमेंट और दीगर ऊपर के मेनेजमेंट में है।

हम येन-केन-प्रकारेण, पिघल जाते हैं, समझौता कर लेते हैं, किसी दबाव में आ जाते हैं या सही मानों में समझो तो मनरेगा दलालों के सामने, ये सोचते हुए कि सामने एक अच्छे भविष्य का ऑफ़र है, बिक-झुक जाते हैं!

इसी झुकने-बिकने की बदौलत, हमारे बच्चे कॉन्वेंट गोइंग, हमारा घर माली, भिस्ती, धोबी और स्टैंडरड की कामवाली बाई युक्त हो जाता है।   

उधर के मेनेजमेंट ने यानी गुप्त जी ने चेतावनी के लहजे में कहा, और उत्सुकता भी जताई, "तुम हमारे साथ अभी जब ऊपर चल रहे हो, ये डाटा-साटा का आटा तुम्हारे किस काम का?"

वो नादान, हमसे आईटी रेड डालने वालों जैसा ट्रीटमेंट नहीं किये थे। मोबाइल, लैपटॉप, पेन ड्राइव आदि हमसे बलात्‌ नहीं छुड़ाये थे। मसलन सब का स्वामित्व फ़िलहाल हमें, अभी पता नहीं कितने देर के लिए उपलब्ध था।

हमने अपने चहेते, विश्वासपात्र गनपत राय को तत्काल तलब कर लिया।

"गनपत . . . मैं बोल रा . . ."

"वा . . .वा . . .सर जी आप को होश आ गया . . . ख़ुदा  का लाख लाख शुक्र है . . ."

मैंने कहा, "ये ख़ुदा-ख़ुदा कब से भजने लगा . . . मुझे ये भी याद है आज शुक्र नहीं . . . शनी है . . . बली यानी बजरंग बली का वार है . . . मैं सोमवार को भर्ती . . . ख़ैर छोड़ मेरे पास टाइम कम है . . . मैं तुझे सीक्रेट डाटा भेज रहा हूँ  . . . कोरोना से रिलेटेड है, मत पूछ कहाँ से जुगाड़ा है। बस समझो ऊपर यानी यमराज ऑफ़िस से सीधे तेरे पास हाज़िर हो रहा है। काम ढंग से किया तो तेरे को नोबल पुरस्कार की नौबत आ सकती है। बीच-बीच में तुझे गाइड करता रहूँगा, इस डाटा को डिटेल में अनालाईज़ करना है।

"एस सी, एस टी, ओ बी सी के क्या परसेंटेज होंगे। कितने ग़रीब-कितने अमीर चपेट में आयेंगे तुझे आसानी से पता चलता रहेगा . . . यार यक़ीन कर . . .।

"किस खेमे से कितने टूटेंगे . . .  किस पार्टी का कौन दिग्गज दिवंगत होगा? चोर, लुटेरों, दाता-दानी सब एक साथ कैसे नपेंगे, दानियों को भी कन्सेशन नहीं  मिलेगा ।

"मंत्री-संतरी के बीच ‘उठने’ वालों का क्या आँकड़ा रहेगा? तू इस डाटा के मार्फ़त जान सकेगा . . .।

"और गनपत ख़ास बात तो ये कि इसमें आगामी काल में आत्मा-विहीन होने वालों की भी जानकारी है . . . समझो तहलका मच जाएगा . . . यानी लोग नास्त्रेदमस एस्ट्रानामर को लोग भूल जायेंगे! है कि नईं? ‘गुप्त जी’ यम-वाले की ख़ास हिदायत है . . . सीक्रेसी मेंटेन हो!

"अरे तू क्या सोच रहा है– मैं भर्ती होते ही सठिया गया . . .?

"अरे नहीं बाबा . . . तुझसे, आगे  ये डाटा बात करेंगे . . . ज़रा कम्प्यूटर आन कर, एक्सेल खोल, डाटा पढ़, मुझे सुना....."

"सर जी चमत्कार हो गया . . . यक़ीनन आप इतनी जल्दी कहीं से भी, कैसे भी इन आँकड़ों के जनक, डाटा इंट्री कर्ता हो ही नहीं सकते! मैं तत्काल आईसीयू पहुँचने की कोशिश करता हूँ, पूरी दुनिया इस सच्चाई के रूबरू होने के बाद भी मान ही नहीं सकेगी! जीने-मरने वालों की फ़ेहरिस्त आगामी पूरे एक साल की आपने दी है . . . ग़ज़ब ! साहब जी सुन रहे हैं . . . ? साहेब जी . . . ??

"शायद नेटवर्क कमज़ोर हो गया . . .  इस अम्फान के तूफ़ान को भी अभी आना था! . . . लाईट गुल! अँधेरा . . . साथ में तमाम डाटा बिना सेव किये रह गया . . . अफ़सोस . . . !

"चल देखूँ साहेब कि मोबाइल में फ़ारवर्ड करते समय कुछ रह-बच गया हो . . . ?"

आईसीयू के बोर्ड पर साहब के दाख़िले और मौत की तिथि कोई चाक से लिख रहा था।

मैंने साहेब के मोबाइल की दरयाफ़्त की . . . पता चला कोई सगा अभी-अभी ले के निकल गया है।

उस नम्बर पर अब केवल नो रिप्लाई  है ।

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