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आओ जन्मदिन मनाएँ

हैपी बर्थ डे स्वतंत्र भारत.
यादों और वादों के छिछले मंच पर
स्वागत है तुम्हारा।
 
देखो न !
तुम्हारे स्वागत में
इस कोने से उस कोने तक
किस करीने से उल्टी लटकी हैं
हरी नीली नारंगी रंगी हुई
हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं की झंडियाँ
 
सुनों!
इन बैलूनों का विस्फोट
इन गिफ्ट पैकेटों में कुलबुलाती
नारों की प्रतिध्वनियाँ।
 
आओ!
मुँह फुलाओ,
फूँक की औपचारिकता निभाओ।
 
ये साठों मोमबत्तियाँ
पहले से ही फुंकी हुई हैं।
 
अब,
केक काटो।
देखो न!
सब के सब
इसी इन्तज़ार मे मुँह बाए खड़े हैं
निगलने के लिये।
 
ध्यान रखना!
केक पर सजे अपेक्षाओं के थक्के
जैसे सबके हिस्से मे जायें।
 
कोई डर नहीं
ये आँतें सब पचा लेती हैं...
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                                   अरमान
                                         ... सब।

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