आप अगर हम को मिल गए होते
शायरी | ग़ज़ल अब्दुल हमीद ‘अदम‘28 Apr 2007
आप अगर हम को मिल गए होते
बाग़ में फूल खिल गए होते
आप ने यूँ ही घूर कर देखा
होंठ तो यूँ भी सिल गए होते
काश हम आप इस तरह मिलते
जैसे दो वक़्त मिल गए होते
हम को अहल-ए-ख़िरद मिले ही नहीं
वरना कुछ मुन्फ़ईल गए होते
अहल-ए-ख़िरद=बुद्धिमान लोग; मुन्फईल=लजाना
उस की आंखें ही कज-नज़र थीं ‘अदम‘
दिल के पर्दे तो हिल गए होते
कज-नज़र=धोखा भरी नज़र
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