आवाज़ कौन
शायरी | ग़ज़ल नीना पॉल (स्वर्गीय)30 Jun 2012
दे गया झरनों को फिर आवाज़ कौन
पत्थरों के हाथ में ये साज़ कौन
ले गईं मेरी उम्मीदें फिर वहीं
दूर से बजा रहा ये साज़ कौन
बर्फ़ को फिर-फिर पिघलने का नया
धूप को सिखला गया अंदाज़ कौन
मैं उड़ी तो दूर तक उड़ती रही
हौंसलों को दे गया परवाज़ कौन
आप भी गर रूठ कर यूँ चल दिए
फिर उठाएगा हमारे नाज़ कौन
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