आवाज़ (पाराशर गौड़)
काव्य साहित्य | कविता पाराशर गौड़25 Aug 2007
सुनो..
मेरी आवाज़ को गौर से सुनो
अगर पौधा मर गया तो उसके साथ
बीज भी मर जायेगा
धरती बंजर हो जायेगी
किसान भी मर जायेगा-
अगर वो मरा तो...
उसके साथ समूचा देश भी मर जायेगा
फिर...
ना तो कोई सुननेवाला होगा
ना सुनाने वाला।
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