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अब नगर शांत है

एक संत नगर के ऐतिहासिक मैदान में अपना भाषण दे रहे थे। वे सरकार की विफलता एवं भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे थे। संत को सुनने के लिए पूरा शहर ही उस मैदान में आ उपस्थित हुआ था। भाषण शान्तिपूर्वक चल रहा था। लोग ध्यान लगा कर उनकी बातों को सुन-समझ रहे थे। पूरे मैदान में केवल संत की ही आवाज़ गूँज रही थी।

शहर की शान्ति भंग न हो जाए इस आशंका के चलते, अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए जिला मजिस्ट्रेट ने धारा 144 की घोषणा कर दी। घोषणा होते ही वह मैदान छावनी में बदल गया। पुलिस फ़ोर्स और अन्य सुरक्षा कर्मियों ने सभा में प्रवेश करते हुए लोगों को खदेड़ना शुरू कर दिया। देखते ही देखते पूरा मैदान खाली करवा लिया गया।

अब पूरा शहर शान्ति के आग़ोश में था।

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