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अबूझ पहेली

वे आस्तिक हैं और वे मानते हैं कि इस ब्रह्मांड का संचालन करने वाली ताक़त "सर्व-भूत, सर्वशक्तिमान एवं सर्वज्ञ" है। वे उसको कोई एक नाम से नहीं जानना चाहते थे। यही वज़ह थी कि आज तक उन्होंने धरती पर विभिन्न धर्मावलम्बियों द्वारा बनाये हुए किसी भी धर्म स्थल पर माथा टेकने की ज़रूरत महसूस नहीं की। वे सुबह उठकर ऊपर आकाश की तरफ़ देखते हुए मन ही मन उस संचालक को याद करते और फिर अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त हो जाते थे। यूँ वे एक ऐसे एरिया में रहते हैं जहाँ संयोग से मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरद्वारे के अलावा जैन और बौद्धों के धर्म स्थल भी मौजूद हैं।

बहरहाल, हुआ यूँ कि अभी कुछ दिन पहले उनका बेटा गंभीर रूप से बीमार हो गया। उन्होंने शहर के चर्चित डॉक्टरों से उसका उपचार कराया लेकिन स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती चली गई। आज सुबह वे जब घर से निकले तो वे इन सभी धार्मिक स्थलों पर अपनी मूक फ़रियाद लेकर पहुँचे। संयोग कहें या चमत्कार, जब वे घर लौटे तो उनके बेटे की हालत में सुधार दिखने लगा और कुछ ही दिनों में उनका पाँच वर्षीय बेटा पहले की तरह स्वस्थ हो गया। वे अत्यधिक ख़ुश थे किन्तु उनकी समझ में अब यह नहीं आ रहा था कि बेटे के ठीक होने का श्रेय वे किस धर्म से जुड़ी ताक़त को दें। 

आज भी वे इस अबूझ पहेली का समाधान नहीं कर पाये हैं।   

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