ऐ मातृ शक्ति अब जाग जाग
काव्य साहित्य | कविता सुषमा दीक्षित शुक्ला1 Feb 2020
ऐ मातृ शक्ति अब जाग जाग।
ऐ शक्तिपुंज अब जाग जाग।
रणचण्डी बन तू स्वयं आज।
मत बन निरीह नारी समाज।
उठ हो सशक्त भय रहा भाग।
अबला का चोला त्याग त्याग।
अब अस्त्र उठा तज लोक लाज।
शोषण का ले , जग से हिसाब।
ऐ मातृ शक्ति अब जाग जाग।
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