ऐसा जीवन आया था
बाल साहित्य | किशोर साहित्य कविता अश्वनी कुमार तिवारी1 Sep 2020 (अंक: 163, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
घूमते हो जो तुम इन
रंग बिरंगे बाज़ारों में,
नदियों के किनारों में,
पर्वतों की बहारों में ,
तुम्हें क्या पता
इस अस्त-व्यस्त दुनिया में,
एक ऐसा जीवन आया था
जिंदगी कैसे जीनी है
यह सरकार ने हमें बताया था,
आज तुम रहते साथ साथ में
हाथ पकड़ते बात बात में,
ताली देना बात बात में
सिनेमा देखना रात रात में,
तुम्हें क्या पता कि
इस बेगर्ज़ सी दुनिया में ,
एक ऐसा जीवन आया था,
चेहरे का मास्क हाथों का दस्ताना
राष्ट्रीय आभूषण कहलाया था,
आज तुम स्वागत करते हो
हाथों के मिलाने से,
गले से लगाने से
मिलजुल कर रह जाने से,
तुम्हें क्या पता इस
नासमझ सी दुनिया में,
एक ऐसा जीवन आया था,
हाथ मिलाना बंद करके
नमस्ते करना सिखाया था ,
आज जो तुम इस विज्ञान से
भूचाल लाते हो ,
बड़ी बड़ी खोजों और
मशीनों की मिसाल गाते हो,
तुम्हें क्या पता इस
अत्याधुनिक दुनिया में ,
वह कोरोना कहलाया था ,
वैज्ञानिकों से चुनौती कहलवाया था,
तुम से प्रार्थना है कि
इस जीवन को व्यर्थ न जाने देना,
ऐसी महामारी को दुनिया में
वापस ना आने देना ,
जीवन में लाना
उतनी ही आज़ादी को ,
जो दोहराए ना
इस भीषण बर्बादी को।
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