बाल उड़ गये
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य कविता डॉ. शिखा तेजस्वी 'ध्वनि'1 Jan 2020 (अंक: 147, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
जीवन में पैसे कमाने में,
सोशल स्टेटस मेन्टेन करने में
बाल उड़ गये।
अच्छे बेटे बने रहने में,
सारे रिश्तेदारी निभाने में।
बाल उड़ गये।
बीवी को फुसलाने में,
बच्चों को पढ़ाने में,
बेटियों के बाप बनने में।
बाल उड़ गये।
बाइक से कार,
कार से एस यू वी।
स्कार्पियो में तेल भरवाने में,
बाल उड़ गये।
अहमदाबाद में फ़्लैट,
औरंगाबाद में प्लॉट।
मुंबई में मकान लेने में,
बाल उड़ गये।
जीवन की आपाधापी में,
रोटी दाल से फ़ॉरेन टूअर।
तजुर्बा कमाने में,
बाल उड़ गये।
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