बाक़ी है
काव्य साहित्य | कविता राजीव डोगरा ’विमल’15 Dec 2020
बाक़ी है अभी जीना
क्योंकि बाक़ी है अभी
तुमसे फिर से मिल
मोहब्बत करके मर मिटना।
बाक़ी है अभी
तुमसे मिलकर मुस्कुराना
क्योंकि बाक़ी है अभी
तुम को अपना बना कर
अपने सीने से लगाना।
बाक़ी है अभी
तुम से आँखों से आँखें मिलाना
क्योंकि बाक़ी है अभी
बहते अश्कों को छुपा कर
किसी और का बतलाना।
बाक़ी है अभी
कुछ हसरतें नाज़ुक से दिल की
क्योंकि बाक़ी है अभी
बिखरी हुई कुछ
तेरी यादें इस दिल में।
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