बारिश (नवल किशोर कुमार)
काव्य साहित्य | कविता नवल किशोर कुमार3 May 2012
सावन की बारिश,
सनसनाती तेज़ हवायें,
नवयुगलों के मचलते अरमान,
मिट्टी की सोंधी खुश्बू से
महकता सारा संसार।
सावन की बारिश,
टपकते घोंसलों में,
नौनिहालों का मचलना,
दूर तक फैले पानी में
कागज के नाव का नाचना,
अर्धनग्न बच्चों का,
अनोखा पानी भरा संसार।
सावन की बारिश,
हलधरों का मौसम,
वो चमकते उनके चेहरे,
बैलों के घंटियों का बजना,
धान की मोरी से सजा-सँवरा,
हरित वसन से सजा हो ज्यों
सारा संसार।
सावन की बारिश,
बाढ़ की त्रासदी,
लोगों का तड़पना,
ज्यों सूखे पत्ते
बह रहे हों कहीं के कहीं
इस तलाश में,
शायद कहीं तो
मिले उसका अपना संसार।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- अब नहीं देखता ख़्वाब मैं रातों को
- अब भी मेरे हो तुम
- एक नया जोश जगायें हम
- कोशिश (नवल किशोर)
- खंडहर हो चुके अपने अतीत के पिछवाड़े से
- गरीबों का नया साल
- चुनौती
- चूहे
- जीवन का यथार्थ (नवल किशोर)
- जीवन मेरा सजीव है प्रिये
- नसों में जब बहती है
- नागफनी
- बारिश (नवल किशोर कुमार)
- बीती रात के सपने
- बैरी हवा
- मानव (नवल किशोर)
- मैं लेखक हूँ
- मोक्ष का रहस्य
- ये कौन दे रहा है यूँ दस्तक
- रोटी, कपड़ा और मकान
- वक़्त को रोक लो तुम
- शून्यता के राह पर
- सुनहरी धूप (नवल किशोर)
- सूखे पत्ते
- स्वर्ग की तलाश
- हे धर्मराज, मेरी गुहार सुनो
- क़िस्मत (नवल किशोर)
- ख़्वाहिशें (नवल किशोर)
ललित निबन्ध
सामाजिक आलेख
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं