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बच्चे और बचपन

हँसते और मुस्काते बच्चे,
रोते और चिल्लाते बच्चे।
बच्चों का बचपन प्यारा है,
पढ़ते और सिखाते बच्चे।
 
बच्चों का तो मन सच्चा है,
खेल खिलौने सब अच्छा है।
उनकी बातें जग से न्यारी,
बचपन का प्रतिपल अच्छा है।
 
काले- गोरे छोटे बच्चे,
लंबे-पतले मोटे बच्चे।
सबकी अपनी ही भाषा है,
नटखटपन करते हैं बच्चे।
 
बच्चे करते मीठी बातें,
बच्चे करते सच्ची बातें।
बच्चों की तो बोली प्यारी,
सीख सिखाती उनकी बातें।
  
बच्चे भी कुछ शिक्षा देते,
मन की कभी परीक्षा लेते।
माना बच्चे हैं बड़े नहीं पर,
कठिन प्रश्न भी हल कर देते।
 
खेल खिलौने बचपन प्यारा,
जीवन का यह समय निराला
हम सब बचपन में खो जाएँ
फिर से हम बच्चे हो जाएँ।
हंसते और मुस्काते बच्चे . . . ॥

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