बच्चों की पाती
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता डॉ. भावना कुँअर6 Oct 2007
आओ बच्चों जल्दी आओ,
अपनी पाती लेकर जाओ।
पढ़कर इसको रखना याद,
पूरे होंगे सारे ख्वाब।
प्रातः जल्दी उठकर तुम,
सभी बड़ों को करो नमन।
और प्रभु का लेकर नाम,
करो शुरू तुम सारे काम।
सभी बड़ों का आदर करना,
छोटों से भी न तुम लड़ना।
अगर करोगे अच्छे काम,
जग में होगा सबका नाम।
मात-पिता की आज्ञा मानो,
भले-बुरे को तुम पहचानो।
फैलाओ ऐसा उजियारा,
मिट जाये जग का अँधियारा।
बड़ी लगन से पढ़ना तुम,
मेहनत से न डरना तुम।
पाओगे ऊँचा स्थान
बन जायेगें बिगड़े काम।
झूठ की राह कभी न चलना,
सच के पथ पर आगे बढ़ना।
झूठ का होता है अपमान,
सच को मिलता है सम्मान।
जीवों पर भी दया करो,
कभी न उनका बुरा करो।
वो भी देंगे तुमको प्यार
प्रेममय होगा संसार।
गर तुम पे हो रोटी कम,
करो नहीं कोई भी गम।
साथ बाँटकर इसको खाओ,
जग में सबसे प्यार बढ़ाओ।
वाणी में तुम अमृत घोलो,
कभी किसी से बुरा न बोलो।
बन जायेंगे संगी साथी,
पूरी हो गयी अपनी पाती।
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