अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

बचपन

 

कुछ हँसाया कुछ रुलाया,
बाक़ी दोस्तों से वफ़ादार है पर, 
काफ़ी साथ निभाया।
छ्म छम बारिश बरसी,
तो सावन का झूला झुलाया।
गर्मी की छुट्टी के साथ 
नानी-नाना का लाड़ भी लाया।
नई किताबों की ख़ुशबू में, 
ख़ुशियाँ मुझे ढूँढ़ना सिखलाया;
और माँ के हाथों की रोटी में, 
दुनिया भर का स्वाद चखाया।
थोड़ी देर से ही सही, 
जाना दूर उसे भी ज़रूर था,
मजबूरियाँ रही होंगी कुछ शायद,
वरना जाने का शौक़ तो 
उसे भी नही था।
लुक्का छुप्पी का खेल समझकर 
जा बैठा जाने किस कोने में!
मैंने भी एक बार ना ढूँढ़ा, 
लगी रही बड़ी होने में।
इक दिन मिला भागता हुआ;
अलमारी में रखे 
पुराने खिलौनों के बीच 
छुप गया कहीं।
अर्सों तक ढूँढ़ने पर जो पकड़ा मैंने;
बोला, 
"तुम्हें ही तो बड़ी जल्दी थी बड़े होने की।"
भारी आँखों से मैं मुस्काई;
गले लगाकर बोली–
बचपन, अरे कहीं तू 
मेरा खोया हुआ बचपन तो नहीं?

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

'जो काल्पनिक कहानी नहीं है' की कथा
|

किंतु यह किसी काल्पनिक कहानी की कथा नहीं…

14 नवंबर बाल दिवस 
|

14 नवंबर आज के दिन। बाल दिवस की स्नेहिल…

16 का अंक
|

16 संस्कार बन्द हो कर रह गये वेद-पुराणों…

16 शृंगार
|

हम मित्रों ने मुफ़्त का ब्यूटी-पार्लर खोलने…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं