बहुत दिनों के बाद...
काव्य साहित्य | कविता डॉ. विवेक कुमार6 Nov 2016
आया है मनभावन मौसम
बहुत दिनों के बाद
बहुत इंतज़ार के बाद...
आये हैं ढेर सारे फूल
बूढ़ी काकी के अमरूद के गाछ में...
आये हैं दो छोटे-छोटे चमकीले दूधिया दाँत
भाभी के मुन्ने के मुँह में अबकी सावन में...
आई है ख़ुशबू लिए बसंती हवा का संदली झोंका
प्रियतम के ज़ुल्फ़ों और उसके बदन को हौले से छूकर...
कबरी गैया ने इसी माह जना है
एक सुन्दर-सी बछिया काली-चिती-सी...
सजने लगी है फिर से
तरह-तरह के मिठाइयों और खिलौनों की दुकानें
ईदगाह में सालाना जलसे की तैयारी में...
फिर लगने लगे हैं आँगन में मिट्टी के बर्तनों के ढेर
शुरू किया है बदरी काका ने अपना काम
लम्बी बीमारी से उबरने के बाद...
मन की आस्था और मज़बूत हुई है बड़ी बहूरिया की
अपने पति के दूर देश से वापसी की
पूरे पाँच सालों के बाद भी...
जारी है अनवरत आने-जाने
मिलने और बिछुड़ने का सिलसिला इस दुनिया में
ऐसे में तुम कब आओगे?
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