बलात्कार का जश्न
कथा साहित्य | लघुकथा आलोक कौशिक15 Oct 2020
उत्तर प्रदेश के एक गाँव में बलात्कार की घटना घटित होने की ख़बर फैलते ही सोशल मीडिया पर बलात्कार से संबंधित लेखों, कहानियों एवं कविताओं की बाढ़-सी आ गई। प्रिया दीक्षित एक स्वघोषित लेखिका थी। जब किसी भी राष्ट्रीय समाचार पत्र अथवा पत्रिका में उसकी रचना प्रकाशित नहीं हो सकी तो उसने फ़ेसबुक पर लिखना शुरू कर दिया। प्रिया दीक्षित ने सोचा कि अभी अच्छा समय है जब मैं बलात्कार पर लिखकर लोगों की नज़रों में आ सकती हूँ।
'ना आना भारत देश मेरी लाडो' शीर्षक से प्रिया दीक्षित ने एक कहानी लिख डाली और अपने एक परिचित जो कि एक फ़ेसबुक पेज के एडमिन थे उनको प्रेषित कर दिया। कहानी में अनेक त्रुटियाँ थीं परंतु एडमिन महोदय को साहित्य की बारीक़ियों का ज्ञान नहीं था; इसलिए कहानी में व्याप्त त्रुटियाँ उनकी समझ से परे थीं। कहानी पढ़ने के तुरंत बाद एडमिन महोदय ने अपने फ़ेसबुक पेज पर उस कहानी को पोस्ट कर दिया। अगले दिन प्रिया ने देखा कि फ़ेसबुक पेज पर पोस्ट की गई उसकी कहानी पर पच्चीस लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएँ प्रदर्शित की थीं। प्रिया दीक्षित को अपनी किसी भी कहानी पर इतनी अधिक प्रतिक्रियाएँ पहली बार प्राप्त हुई थीं। इस वज़ह से प्रिया बहुत ख़ुश थी। उसने एडमिन महोदय को फोन कर कहानी पोस्ट करने के लिए आभार जताया एवं धन्यवाद दिया।
रात में प्रिया ने अपने पति को उनकी पसंद का खाना बनाकर खिलाया और अपनी ख़ुशी का राज़ भी बताया। कुछ देर बाद प्रिया दीक्षित अपने पति को आग़ोश में लेकर बिस्तर पर लेट गई।
उधर बलात्कार पीड़िता ने अस्पताल में तड़पते हुए अपना दम तोड़ दिया।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- आलिंगन (आलोक कौशिक)
- एक दिन मंज़िल मिल जाएगी
- कवि हो तुम
- कारगिल विजय
- किसान की व्यथा
- कुछ ऐसा करो इस नूतन वर्ष
- क्योंकि मैं सत्य हूँ
- जय श्री राम
- जीवन (आलोक कौशिक)
- तीन लोग
- नन्हे राजकुमार
- पलायन का जन्म
- पिता के अश्रु
- प्रकृति
- प्रेम दिवस
- प्रेम परिधि
- बहन
- बारिश (आलोक कौशिक)
- भारत में
- युवा
- श्री कृष्ण
- सरस्वती वंदना
- सावन (आलोक कौशिक)
- साहित्य के संकट
- हनुमान स्तुति
- हे हंसवाहिनी माँ
लघुकथा
कहानी
गीत-नवगीत
हास्य-व्यंग्य कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
{{user_name}} {{date_added}}
{{comment}}