बंधन
काव्य साहित्य | कविता महेन्द्र देवांगन माटी15 Sep 2020 (अंक: 164, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
(ताटंक छंद)
जनम जनम का बंधन है ये, हर पल साथ निभायेंगे।
कुछ भी संकट आये हम पर , कभी नहीं घबरायेंगे॥
गठबंधन है सात जनम का, ये ना खेल तमाशा है ।
सुख दुख दोनों साथ निभाये, अपने मन की आशा है॥
प्रेम प्यार के इस बंधन को, भूल नहीं अब पायेंगे।
जनम जनम का बंधन है ये, हर पल साथ निभायेंगे॥
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