बे मौसम बरसात
काव्य साहित्य | कविता डॉ. उषा रानी बंसल15 Jul 2020
जाने क्या शोक था, जाने क्या शौक़ था ,
जाने क्या ग़म था, जाने क्या ग़म था,
जाने क्या दर्द था, जाने क्या दुख था,
रात भर अम्बर सिसक सिसक कर,
करहाता रहा, सुबक सुबक कर,
रो रो कर विलाप करता रहा,
बूँद से मोती पिरोता रहा,
धरती का आँचल भिगोता रहा ,
जाने क्या ग़म था,
क्या दर्द था,
क्या दुख था
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