बेबस
कथा साहित्य | लघुकथा ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश'16 Feb 2017
धनिया इस बार सोच रही थी कि जो 10 बोरी गेहूँ हुआ है उस से अपने पुत्र रवि के लिए कॉपी, किताब और स्कूल की ड्रेस लाएगी जिस से वह स्कूल जा कर पढ़ सके। मगर उसे पता नहीं था कि उस के पति होरी ने बनिये से पहले ही कर्ज़ ले रखा है।
वह आया... कर्ज़ में ५ बोरी गेहूँ ले गया। अब ५ बोरी गेहूँ बचा था। उसे खाने के लिए रखना था। साथ ही घर भी चलाना था। इस लिए वह सोचते हुए धम से कुर्सी पर बैठ गई कि वह अब क्या करेगी?
...पीछे खड़ा रवि अवाक् था। बनिया उसी के सामने आया। गेहूँ भरा। ले कर चला गया। वह कुछ नहीं कर सका।
"अब क्या करूँ? क्या इस भूसे का भी कोई उपयोग हो सकता है?"
धनिया बैठी-बैठी यही सोच रही थी।
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