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बेटी (सुमित कुमार प्रजापति)

संतान सुख से वंचित विशम्बर पेशे से वकील थे।

एक रोज़ जब वह कोर्ट जा रहे थे तो उनकी नज़र कोर्ट के परिसर में पड़ी,  जहाँ एक तलाक़शुदा दंपती कोर्ट के बाहर निकलने के बाद आपस में झगड़ रहे थे।  पास के ही एक बेंच पर एक मासूम बच्ची लेटी हुई थी जो 8 या 9 महीने की रही होगी। वह उन दोनों की तरफ़ देखकर किलकारी मारकर हँस रही थी।

विपुल ने उसकी ओर देखते हुए कहा, "देखो ये छोटी है इसलिए ये तुम्हारे पास ही रहेगी, वैसे भी ये एक लड़की है, अगर लड़का होता तो कुछ सोचता।"

विनीता ने तुरन्त कहा, "नहीं..नहीं, मैं नहीं रख सकती। वैसे भी सुदेश सिर्फ़ मुझे ही स्वीकार करेगा वह इसे स्वीकार नहीं करेगा; क्योंकि यह एक लड़की है।"

उन दोनों में से कोई भी उस बच्ची को स्वीकार करना नहीं चाहता था क्योंकि वह एक लड़की थी।

विशम्बर पूरा मामला समझ चुके थे। वह उन दोनों को समझाते हुए बोले कि आप झगड़ा मत करो। आप अपनी-अपनी लाइफ़ ख़ुशी-ख़ुशी जी लो, रहा सवाल इस बच्ची का तो इसका पालन-पोषण मैं करूँगा। यह कहकर विशम्बर ने उस मासूम को अपनी बाँहों में उठा लिया और उसे पुकारा, तो वह मासूम खिलखिला कर हँस पड़ी। उसकी किलकारियों से विशम्बर के दिल के उपवन में एक साथ कई फूल खिल उठे और उसकी आँखें ख़ुशी से नम हो गईं।

आज फिर एक बार, और एक केस विशम्बर ने कोर्ट के बाहर ही सुलझा दिया था; जिसके लिए वह जाने जाते थे।

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