भावना के पुष्प
काव्य साहित्य | कविता सुषमा दीक्षित शुक्ला15 Aug 2020
ये भावना के पुष्प सादर,
प्रभु समर्पित है तुम्हें।
प्रेम धागे में पिरो कर,
कर रही अर्पित तुम्हें।
है कामना अब तो प्रभु,
कोई ना हमसे भूल हो।
अब प्रेम की गंगा बहे,
ना नफ़रतों के शूल हों।
ये कठिन जीवन अग्निपथ,
ना भटक जाऊँ ज्ञान दो।
बस नेक रस्तों पर चलूँ,
हरदम तुम्हारा ध्यान हो।
सुन हे!प्रभु परमात्मा,
तुमसे मेरी याचना।
निज प्यार से मत दूर कर,
तेरी शरण की कामना।
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