भेदभाव
काव्य साहित्य | कविता-मुक्तक ज्योत्स्ना 'प्रदीप'29 Apr 2014
ये आँसू भी
भेदभाव करें
अपनों के लिए अतिवृष्टि
ग़ैरों के लिए आँखों को
सूखा गाँव करें!!
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