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भूल गई दुनिया अब तो

भूल गई दुनिया अब तो
चिट्ठी-पत्री-तार है।
 
वर्तमान में ज्ञान की खान
हुआ है गूगल।
बैठे बताना चौपालों में
हुआ अनर्गल॥
 
ई-रिक्शा की दुनिया बाबू
ताँगा बेकार है।
 
हवाओं में ज़हर घुला है
मुरझाई झाड़ी।
भूख घर में मचल रही
पर पीएँगे ताड़ी॥
 
बुरे वक़्त के पास पड़ा
धारदार औज़ार है।
 
दंद-फंद, झाँसे और
स्वारथ की दुनिया है।
जबकि गौ के माफ़िक
उनकी बेटी मुनिया है॥
 
अंट-शंट कानून-क़ायदे
त्रिशंकु सरकार है।

अविनाश व्यौहार
जबलपुर मप्र

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