बिल्ली रानी
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता प्रिया देवांगन ’प्रियू’15 Jun 2020 (अंक: 158, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
दबे पाँव से आती बिल्ली,
दूध मलाई खाती है।
दरवाज़े पर आ कर के,
म्याऊँ म्याऊँ चिल्लाती है॥
ताका-झाँकी करती बिल्ली,
बच्चों को डराती है।
देख चूहे को बिल्ली रानी,
उसको बहुत दौड़ाती है॥
चुन्नू मुन्नू संग खेला करती,
बच्चों को साथ लाती है।
कहीं दिखे दूध रोटी तो,
झट से दौड़ लगाती है॥
भूरी भूरी आँखें इसकी,
पूँछ बहुत हिलाती है।
कहीं मिले दूध मलाई,
बड़े मज़े से खाती है॥
बहुत शरारत करती बिल्ली,
खंभे पर चढ़ जाती है।
नहीं मिले अगर खाना तो,
आँखें अपनी दिखाती है॥
काली भूरी कबरी बिल्ली,
घर घर दौड़ लगाती है।
बंदर राजा को देख कर,
झट से वह छुप जाती है॥
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