बोलेगा साहित्य मेरा
काव्य साहित्य | कविता कहफ़ रहमानी 'विभाकर'28 Feb 2014
एकदिन,
दृग-कोष शिथिल पड़ जाएँगे
औ' स्मरणांजलि धूमिल
होंगे हस्त कम्पित
पग-पग विराम होगा।
हूँगा मौन
होगी शिथिल जिह्वा
परन्तु चहुँ ओर गुंजित
शिथिल रह मौन भी बोलूँगा
बोलेगा साहित्य मेरा।
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