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ब्राह्मण कौन है

ब्राह्मण जप से पैदा हुई शक्ति का नाम है।
ब्राह्मण त्याग से जन्मी भक्ति का धाम है।
 
ब्राह्मण ज्ञान के दीप जलाने का नाम है।
ब्राह्मण विद्या का प्रकाश फैलाने का काम है।
 
ब्राह्मण स्वाभिमान से जीने का ढंग है।
ब्राह्मण सृष्टि का अनुपम अमिट अंग है।
 
ब्राह्मण विकराल हलाहल पीने की कला है।
ब्राह्मण कठिन संघर्षों को जी कर ही पला है।
 
ब्राह्मण ज्ञान भक्ति, त्याग, परमार्थ का प्रकाश है।
ब्राह्मण शक्ति, कौशल, पुरुषार्थ का आकाश है।
 
ब्राह्मण न धर्म, न जाति में बंधा इंसान है।
ब्राह्मण मनुष्य के रूप में साक्षात् भगवान है।
 
ब्राह्मण कंठ में शारदा लिए ज्ञान का संवाहक है।
ब्राह्मण हाथ में शस्त्र लिए आतंक का संहारक है।
 
ब्राह्मण सिर्फ़ मंदिर में पूजा करता हुआ पुजारी नहीं है।
ब्राह्मण घर घर भीख माँगता भिखारी नहीं है।
 
ब्राह्मण गरीबी में सुदामा सा सरल है।
ब्राह्मण त्याग में दधीचि सा विरल है।
 
ब्राह्मण विषधरों के शहर में शंकर के समान है।
ब्राह्मण के हस्त में शत्रुओं के लिए परशु कीर्तिवान है।
 
ब्राह्मण सूखते रिश्तों को संवेदनाओं से सजाता है।
ब्राह्मण निषिद्ध गलियों में सहमे सत्य को बचाता है।
 
ब्राह्मण संकुचित विचारधारों से परे एक नाम है।
ब्राह्मण सबके अंतःस्थल में बसा अविरल राम है।

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