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चरणयोगी भोग्या वसुंधरा

कहता रहे जो कहता रहे, हो जिसके लिए कर्मयोग सबसे बड़ा योग हो, पर मेरे लिए तो योगों में योग चरणयोग ही है। और मरने के बाद भी सर्वश्रेष्ठ योग चरणयोग ही रहेगा। मरने के बाद भी जो दाँव लगा और मैं आदमी ही बना तो तब माँ के गर्भ से ही चरणयोग की रिहर्सल शुरू कर दूँगा। क्योंकि इस जन्म में मैं चरणयोग की महत्ता को समझ गया हूँ। चरणयोग से सफलता निर्विवाद है। सूर्य अपना प्रकाश दे या न, पर चरणयोग फल अवश्य देता है। इस योग के सहारे मैंने आँखें बंद रखने के बाद भी गधे तक फ़र्श से अर्श पर जाते देखे हैं। चरणयोग को नकार जिन्होंने कर्मयोग का बिगुल बजाया दूसरे ही दिन उनकी साँसें ऐसी उखड़ीं कि मरने के बाद भी सामान्य न हुईं। 

यह सत्य है कि बेचारे कर्मयोगी दिन-रात ऑफ़िस की फ़ाइलों में उलझे अपने सिर को तिल-तिल गंजा करते रहते हैं, और जब उनका सिर बाल ट्रांसप्लांट के लायक़ नहीं रहता तब वे कर्मयोग में भटके मरते-मरते चरणयोगी होने के बाद अपने गंजे सिर पर बाल चिपकवाने के लिए इधर-उधर से बाल उधार माँग बाल ट्रांसप्लांट करने वालों के क्लिनिक का गूगल पर पता ढूँढ़ते फिरते हैं। 

इसके विपरीत चरणयोगी! चरणयोगी सदा मुस्कुराता रहता है, कर्मयोगियों के सिर से बाल नोच-नोच अपने सिर पर सजाता रहता है। चरणयोगी के सिर के बाल मरने के बाद भी नहीं जलते। जलाने के बाद भी नहीं जलते। सच्चा चरणयोगी ज़रूरत के हिसाब से कभी इसके तो कभी उसके चरणों में लेट विभिन्न मुद्राओं में चरणयोग करता ज़ुल्फ़ें लहराता रहता है। चरणयोगी के इस  हाथ में लड्डू तो उस हाथ में पेड़े और मुँह सदा गुलाब जामुनों से लबालब भरा रहता है। दुविधा वाले योगी उसके मुँह को इधर-उधर से चाटते रहते हैं। 

चरणयोग शास्त्र में साफ़-साफ़ कहा गया है कि चरणयोग वसुंधरा के सुख भोगने के लिए सबसे सफल योग है। जो चरणयोग को समर्पित हुआ, उसे उसके बाद कोई दूसरा योग करने की क़तई ज़रूरत नहीं होती, कुछ भी करने की क़तई ज़रूरत नहीं होती। चरणयोगी के इस योग में पारंगत होते ही जीवन के सारे सुख उसके घर में पानी भरते हैं। रिद्धियाँ उसके घर उसका बिस्तर झाड़ती हैं। जीवन में लालची को अष्ट सिद्धियाँ, नव निधियाँ कोई दिला सकता है तो बस चरणयोग ही। 

चरणयोग के आसरे बंदा कब कहाँ पहुँच जाए? इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। कर्मयोगी नहीं, चरणयोगी हर चरणों को प्रिय होता है। सफल चरणयोगी को गधे के चरण भी चरण कमल लगते हैं। बस, उन चरणों का योग करने से उसे मुनाफ़ा होना चाहिए। चरणयोगी की सबसे बड़ी ख़ासियत यही होती है कि वह अपने लक्ष्य को भेदने के लिए गधे के चरणों में भी गधे से भी बुरी तरह लोटता है। जोगड़े से सिद्ध हुए चरणयोगी को मालूम होता है कि उसे भवसागर कोई पार लगा सकता है तो बस, चरणयोग ही। यही वज़ह है कि हर युग में कर्मयोगियों पर हमेशा चरणयोगी भारी पड़ते रहे हैं, कर्मयोग पर चरणयोग भारी पड़ता रहा है। कर्मयोगियों पर सदा जीत होती रही है तो बस, चरणयोगियों की। चरणयोगी अजय होता है, चरणयोगी सदा विजयी होता है।

चरणयोग की महत्ता को सुन, देख, जान नौकरी ज्वॉइन करने के कुछ दिन बाद ही मैं भी कर्मयोग को छोड़ तत्काल चरणयोग का हो गया था।  नौकरी मिलते ही जिसके अंडर मैंने भ्रष्ट होने की ट्रेनिंग ली थी, उस गुरु ने साफ़ कह दिया था - बेटे! जो नौकरी में मज़े लूटने हैं तो कर्मयोग की गंदी कंबली परे फेंक और चरणयोग का धवल चोला धारण कर ले। जितने मज़े चरणयोग को धारण करने के बाद होते हैं, उतने मज़े तो स्वर्ग में देवता भी क्या ही मज़े करते होंगे।

बस! फिर क्या था!  मैंने आव देखा न ताव! कर्मयोग की पसीने की बास वाली कंबली परे फेंकी और चरणयोग की शरण में चला गया। अपने गुरु श्री श्री एक हजार साठ चरणयोगी जी महाराज के चरण उन्हें गालियाँ देते पूरी आस्था से छुए, कर्मयोग को लात मार उसे कुबड़ा कर सड़क पर भीख माँगने ईमानदारी का कटोरा उसके हाथ थमा चरणयोग के प्रति जन्म-जन्म अपने को तन-मन से समर्पित करने की ठान ली। 

मित्रो! जबसे चरणयोग को अपने जीवन का साध्य माना है, भरपूर मज़े कर रहा हूँ। अब तो रात को सोते हुए भी जो सपने में कोई आने वाले वक़्त में काम का दिख जाए तो उसके चरणों में तत्काल जाग तनिक चरणयोग कर लेता हूँ। 

जीवन से दुखी, निराश, असफल मेरे कर्मयोगियों भाइयों को मेरी सलाह है कि जो वे शेष जीवन में मज़े करने चाहते हों, वे कर्मयोग को छोड़ चरणयोग को तुरंत अपनाएँ।

मित्रो! आप इसे झूठ मानेंगे पर यह सत्य है कि चरणयोग का अब मैं इतनी आदी हो गया हूँ कि जिस दिन किसीके चरणों में बैठ मैं चरणयोग नहीं कर लेता, भूख ही नहीं लगती। अब ऑफ़िस में दस से पाँच बजे तक तो चरणयोग करता ही हूँ, पर रात को जब सोने लगता हूँ तो सोने से पहले उनकी तस्वीर के चरणों को सबके चरण मान उनके  चरणों में बैठ पूरी लग्न से चरणयोग करता हूँ।  

अभी फिर उनकी तस्वीर के चरणों में बैठ सोते हुए चरणयोग कर रहा था कि उनका फोन आया जो अधकचरे क़िस्म के योगी हैं। दो नावों पर सवार वाले। मेरे ठाठ देखते हैं तो चरणयोगी हो जाते हैं, और जो परलोक को देखते हैं तो कर्मयोगी, "सो गए क्या?"

"नहीं! चरणयोग करने के बाद घोड़े बेचकर सोने की तैयारी कर रहा हूँ।"

"आज का अख़बार पढ़ा क्या?"

"अख़बार क्या करना पढ़कर? चरणयोगी तो बस चरण पढ़ा करते हैं बंधु चरण!" मैंने उन्हें सुधारने की कोशिश की, "पर ऐसा क्या था अख़बार में?"

"अख़बार वालों ने लिखा है कि सरकार अपने कर्मचारियों को कर्मयोग सिखाएगी ताकि उनके कामकाज और प्रदर्शन में सुधार आए। ये सरकार भी न! जो मन में आता है करती रहती है," उन्होंने कुनीन मुँह बनाया।

"मेरी समझ में और तो सब कुछ आता है पर एक बात समझ नहीं आती कि अख़बार पर तुम इतना विश्वास कैसे कर लेते हो? अख़बार का क्या! उसके मन में जो आया छाप दिया," मैंने चरणयोग पूरा करने के बाद वाली अँगड़ाई ली।

"नहीं यार! बात पुख़्ता है। अगर ऐसा हो गया तो? अब रिटायर होते-होते कर्मयोग! जानता हूँ, वैसे ये होगा तो नहीं, पर फिर भी जो ये हो ही गया तो मैं तो न घर का रहूँगा अब न घाट का।"

"ऐसा कुछ नहीं होता यार! बी कूल! जो इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं वे भी जानते हैं कि जीवन के विकास का मूलाधार कर्मयोग नहीं, चरणयोग है। योगों में सर्वश्रेष्ठ कोई योग है तो बस, चरणयोग है। जिसने इस योग में महारत हासिल कर ली, उसके विकास की महायात्रा को भगवान भी नहीं रोक सकते। समाज में कर्मयोगी की नहीं, चरणयोगी की जय जयकार होती है। कर्मयोगी पीसना होते-होते कर्म करते रहते हैं और उनके कर्म का फल मज़े से अपने नाम चरणयोगी कर जाते हैं। 

हाय! बेचारे कर्मयोगी! भगवान कर्मयोगियों की आत्मा को शांति प्रदान करें! 

बंधु! जिसने एक बार चरणयोग योग को सिद्ध कर लिया, मानो उसने यक्षिणी की माँ को सिद्ध कर लिया। चरणयोग से उत्तम कोई दूसरा योग नहीं। इस योग में महारत हो जाने पर ऑफ़िस के समस्त वैभव उसकी जाँघों पर आ विराजते हैं। इसके उपरांत जीवन में उसे कोई दूसरा योग करने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं होती। स्मरण रहे! समस्त लोकों में समस्त सुख कर्मयोगी नहीं, चरणयोगी ही भोगते हैं।" मैं चरणयोगी से चरणयोगाचार्य हुआ तो मैंने साफ़ महसूस किया कि उन्होंने अपनी उँगली दाँतों तले दबाई और उसमें से लहू बह निकला।

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