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चतुराई 

बच्चों की देखभाल करने के लिए सियार और उसकी पत्नी सियारनी को नियुक्त किया गया था। कुछ दिनों के बाद बच्चों के मरने और ग़ायब होने की शिकायतें आने लगीं। शिकायतों की जाँच करने के लिए अधिकारियों का दल भेजा गया
 
सियारनी बहुत घबराईं। 

सियार ने पत्नी सियारनी से कहा, "घबराओ मत। कुछ नहीं होगा। जब कोई जाँच करनेवाला पूछे कि बच्चे किस हालत में हैं? तो ज़ोर से कह देना - जय श्रीराम।"

सियारनी ने प्रश्न किया, "और पूछे कि बच्चे रो क्यों रहे हैं, तब?"

सियार ने कहा, "तो फिर जोर से कह देना - जय श्रीराम।"

सियारनी ने फिर पूछा, "और पूछे कि बच्चे गायब क्यों हो रहे हैं, तब?"

सियार ने फिर वही कहा, "तो और जोर से कह देना - जय श्रीराम।"

सियारनी ने चिंता व्यक्त की, "और पूछे कि बच्चे मर क्यों रहे हैं, तब?"

सियार ने बेझिझक कहा, "प्रिये! तो और भी ज़ोर से कह देना - जय श्रीराम।"

जाँच दल आया। सियारनी से सवाल पूछने का क्रम शुरू हुआ।

सियारनी ने जवाब देना शुरू किया - "जय श्रीराम!"

सियार की तरक़ीब काम आ गई।
जांच करनेवालों को बात तुरंत समझ में आ गई - ’विधाता ने जीवन के जितने पल-छिन और दिन लिखा है उससे राई घटे, न तिल बढ़े।’ जय श्रीराम।

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