चेहरे
काव्य साहित्य | कविता फाल्गुनी रॉय15 Dec 2020 (अंक: 171, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
बड़ी गर्मजोशी से वो मिला मुझे
ख़ूब आतुरता से उसने
गले से लगाया।
मीठी-मीठी बातें बहुत
वो करता रहा फिर,
उस रंगीन पानी के तीन-चार घूँट पीने तक।
कितने चेहरों को छिपाये फिरते हैं
बशर
एक चेहरे के पीछे।
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