छोड़ जाना होगा
काव्य साहित्य | कविता सौरभ मिश्रा1 Mar 2021 (अंक: 176, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
अंततः सब कुछ छोड़ जाना होगा
ये ढेर सारा प्यार
उनके लिए नफ़रत
ये सबसे पसंदीदा प्याला
ये क़लम
ये कलाम
ख़ुशनुमा सुबह
ये अलसाई हुई शाम
सब कुछ अंततः . . .
ये सब कुछ जो अपना सा लगता है
ये धड़कन
ये साँस
ये ख़ुशबू
ये एहसास
स्वाद,
उनकी याद
कुछ और पल पा लेने की फ़रियाद
अंततः सब कुछ . . .
चाहते या न चाहते हुए भी
सब कुछ छोड़ जाना होगा।
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