छोटी-सी जिन्दगी में हंसकर मीठा बोल
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य कविता रावत गर्ग उण्डू1 Jan 2021 (अंक: 172, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
करके मोबाइल बंद जाने-मन मुखड़ो मत ना मोड़।
अरे बंद आवे मोबाइल थारो, स्विच ऑफ तो खोल॥
'राज' कसम है थारै दिलबर री... नंबर पाछा खोल।
जिन्दगी में अनमोल कइजै प्यार, प्रेम रो रस घोल॥
जाने-मन फोन पर मीठी बातां कर पछै सोती।
'राज' प्यार भरी जिंदगी जियो बनो माला के मोती॥
जिंदगीभर साथ देने का वचन देय, ऐड़ा किया कोल।
इण छोटी सी जिन्दगी में जीवड़ा सोच समझकर डोल॥
राज! कसम है थारै दिलबर री फोन रो स्विच तो खोल।
यूं करके बंद मोबाइल, जीवड़ा ना करो तुम दिल तोड़॥
मैसेज लिख नंबर मिलाती, मीठी बातां हरदम करती।
गुड मॉर्निंग-नाइट के साथ, शायरी दोहा तुम लिखती॥
दिल की मरजी मालिक जाने, थारै मन री बातां बोल।
राज! कसम है थारै प्रीतम री, मोबाइल रो स्विच खोल॥
करके मोबाइल बंद जाने-मन, थै दिलड़ो मति तोड़।
'राज' दिल घबरावै बिन बातां, स्विच ऑफ तो खोल॥
राज! म्है सूं कदैई घड़ी पलक जै बात ना होती।
म्हारै सूं बात बिन थारी आंख्या झिर-मिर रोती॥
वो या आंसू झूठा होवता या फिर झूठा वचन कोल।
राज! कसम है थारै दिलबर री फोन रो स्विच खोल॥
राज! इयुं मनमुटाव कर खारो रस जिन्दगी में नी घोलो।
मिठी बोली रसभरी, सोच समझकर तोलो अर बोलो॥
ऐड़ी कोनी जाणी जानू , म्हारौ दिळड़ौ दे'सी तोड़।
राज! कसम है थारै प्रीतम री, मोबाइल रो स्विच खोल॥
गर्ग! 'रावत' आज हिंवड़ै री प्रीत माथै कलम चलावै।
'राज' प्रेम प्यार री जिंदगी, झूठी प्रीत कोई नी लगावै॥
'राज' जै थारी प्रीतड़ी सांची होवे तो पाछौ करजै काॅल।
अरे कसम है थारै दिलबर री फोन रो स्विच तो खोल॥
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