चिड़िया और गिलहरी
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता नरेंद्र श्रीवास्तव1 Oct 2019
क्यों आयी हो चिड़िया रानी।
भूख लगी या पीना पानी॥
बोली चिड़िया-हार गई मैं।
दुनिया अब ये, लगे वीरानी॥
जब से सूखे ताल-तलैया।
दूर-दूर तक मिले न पानी॥
गायब जंगल, ठूँठ बचे हैं।
दुःख भरी अब रही कहानी॥
तुम अपने, लगते हो सच्चे।
हूक उठी तो बात बखानी॥
कहा गिलहरी ने तब हँसकर
मेरी बहना! चिड़िया रानी॥
धैर्य रखो, उत्साह बढ़ाओ।
दुनिया लगे ख़ूब सुहानी॥
आओ हम कुछ कर दिखलाएँ।
शुरू करें फिर नई कहानी॥
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
लघुकथा
गीत-नवगीत
- अपने वो पास नहीं हैं
- एहसास नहीं . . .
- कोरोना का दंश
- चहुँ ओर . . .
- चाहत की तक़दीर निराली
- तुझ बिन . . .
- तेरे अपनेपन ने
- धूल-धूसरित दुर्गम पथ ये . . .
- प्यार हुआ है
- प्रीत कहे ये . . .
- फागुन की अगवानी में
- फिज़ा प्यार की
- शिकवा है जग वालों से
- सच पूछो तनहाई है
- साथ तुम्हारा . . .
- साथ निभाकर . . .
- सावन का आया मौसम . . .
- सोलह शृंगार
बाल साहित्य कविता
- एक का पहाड़ा
- घोंसला प्रतियोगिता
- चंदा तुम प्यारे लगते
- चिड़िया और गिलहरी
- चूहा
- जग में नाम कमाओ
- टीचर जी
- डिब्बे-डिब्बे जुड़ी है रेल
- देश हमारा . . .
- परीक्षा कोई भूत नहीं है
- पुत्र की जिज्ञासा
- पौधा ज़रूर लगाना
- फूल और तोता
- बारहामासी
- भालू जी की शाला
- मच्छर
- मुझ पर आई आफ़त
- ये मैंने रुपये जोड़े
- वंदना
- संकल्प
- स्वर की महिमा
- हरे-पीले पपीते
- हल निकलेगा कैसे
- ज़िद्दी बबलू
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
किशोर साहित्य कविता
कविता - हाइकु
किशोर साहित्य आलेख
बाल साहित्य आलेख
काम की बात
किशोर साहित्य लघुकथा
हास्य-व्यंग्य कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं