चिड़िया की कहानी
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता निलेश जोशी 'विनायका'1 Jul 2020 (अंक: 159, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
मेरे घर एक चिड़िया आती
चीं चीं करके गीत सुनाती
कभी उछलती कभी फुदकती
दाना चुगती मौज मनाती।
एक दिन घर में चिड़ा आया
चिड़िया के मन को वह भाया
साथ साथ में दाना चुगते
कभी साथ में फुर्र से उड़ते।
आज थी चिड़िया धूल नहाई
शायद बादल ने करी चढ़ाई
चिड़े को उसने बात बताई
एक दूजे के हो गए भाई।
दोनों जाकर तिनके के लाएँ
कोई जगह सुरक्षित वो पाएँ
सुंदर सा अपना घर बसाएँ
दोनों मिल परिवार बनाएँ।
चिड़िया ने अंडे दे डाले
उनको उसने ख़ूब सँभाले
चिड़ा जाकर लाता दाने
थे उसको भी बच्चे पाने।
अंडे फूट निकले दो बच्चे
सुंदर कोमल अच्छे-अच्छे
उम्र नई थी थे वो कच्चे
मन के थे वो सीधे सच्चे।
चिड़िया ने ही उन्हें सँभाला
चिड़े ने उन सब को पाला
नीचे था एक सूखा नाला
रहता उसमें बिल्ला काला।
एक दिन उसने छलाँग लगाई
सब डाली पर नज़र घुमाई
उसे देख चिड़िया घबराई
ज़ोर-ज़ोर चीख़ी चिल्लाई।
चिड़े तक आवाज़ पहुँचाई
दोनों ने मिल चोंच चलाई
कर दी उसकी ख़ूब धुलाई
भागा बिल्ला नानी याद आई!
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