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चरागाँ ये सूरज सितारे न होंगे

चरागाँ ये सूरज सितारे न होंगे
कहानी है मेरी उजाले न होंगे

 

जहाँ से अकेले ही लड़ना पड़ेगा 
तिरे साथ बिटिया सहारे न होंगे

 

कहाँ से मिलेगी महक ज़िंदगी की
मकाँ में खुले गर दरीचे न होंगे 

 

मशीनों से चलता है संसार सारा 
बने हाथ के अब निवाले न होंगे 

 

मुलाक़ात की बात होती नहीं है 
अजी फ़ोन से तो गुज़ारे न होंगे

 

दिखाकर मुहब्बत करेंगे छलावा 
सभी लोग तो हम सरीखे न होंगे

 

चलेगी अभी तो इशारे पे दुनियाँ  
सदा सरबुलंदी पे तारे न होंगे

 

रिहाई नहीं क़ैद चाहे दिवाना  
खुले आसमाँ पे ठिकाने न होंगे


अभी गीत गाती है बुलबुल चमन में
अभी टूटकर फूल बिखरे न होंगे

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टिप्पणियाँ

Vipin 2019/08/06 08:52 AM

Kya baat hai Suru... keep it up

Vinita bahuguna 2019/08/06 06:58 AM

Very beautiful lines mam

सुरेन्द्र सिंह 2019/08/05 04:14 PM

Excellent !! Nicely written

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