दारोगाजी
कथा साहित्य | लघुकथा बृजमोहन गौड़4 May 2015
"चोप्प स्साले बकवास करता है,"...कहते हुए उसने ठेले वाले को एक डण्डा रसीद कर दिया। तिलमिलाकर ठेले वाले ने जेब में हाथ डाला और पाँच का निकालकर दारोगा को हरियाली दिखाई तो मुँह में आई लार को गटकते हुए उसने नरमी से से कहा, "ठीक है। कल से ठेला थोड़ा पीछे लगा लेना।" निर्जीव सा ठेलेवाला ग्राहकों की राह देखने लगा थोड़ी देर बाद ड्यूटी पर बदल कर आए दूसरे दारोगा ने ठेले पर डण्डा मारा तो ठेलेवाला निढाल सा हो पसर गया। |
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