दादी भी स्मार्ट हुईं
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता डॉ. जियाउर रहमान जाफरी1 Nov 2019
बदल गया है आज ज़माना
बदल गईं हैं दादी भी
पहले वाली नहीं है बंदिश
मिली उन्हें आज़ादी भी
कंप्यूटर को खोल के ख़ुद से
गूगल तक वो जाती हैं
लिए हाथ में माउस दादी
तनिक नहीं घबराती हैं
फोन वो ख़ुद से डायल कर लें
फोटो भी ले लेती हैं
इंस्टाग्राम में जाकर दादी
बातें भी लिख देती हैं
दादी हँस कर सेल्फ़ी लेती
पोस्ट उसे फिर करती हैं
लाखों लाइक करते उनको
ख़ूब फ्रेश वो रहती हैं
एटीएम में जाकर दादी
पैसे ख़ुद ले आती हैं
और मोबाइल से ख़ुद ही वो
बिजली बिल कटवाती हैं
दौर आजका जैसे बदला
दादी भी स्मार्ट हुईं
मॉल में जाकर शॉपिंग करती
नये भारत का पार्ट हुईं
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