दर्द का पैमाना
काव्य साहित्य | कविता संजीव कुमार बब्बर27 Feb 2014
दर्द का अहसास
सबका अलग होता है
कोई काँटे पे
कोई फूल से
कोई धोखे पे
कोई प्रेम में
कोई खोने पे
कोई पाने पे
इसका अहसास पाता है
और ...
खोई मौत पर भी
इसे समझ नहीं पाता है
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
किशोर साहित्य कविता
कविता
कविता - क्षणिका
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं