दस्तावेज़ क़ीमती है
काव्य साहित्य | कविता संजीव कुमार बब्बर27 Feb 2014
दस्तावेज़ क़ीमती है
इस बात को तुम जानो
चिल्ला रहा सच देखो
भीड़ भरी दुनिया में
सच को सच नहीं माने
ये दुनिया वाले देखो
दस्तावेज़ क़ीमती है
इस बात को तुम मानो
दस्तावेज़ बिन सच कहाँ
सच तो दस्तावेज़ है
ज़रूरत है ज़िन्दगी को
मुर्दे को दस्तावेज़ की
दस्तावेज़ क़ीमती है
इस बात को तुम जानो
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
किशोर साहित्य कविता
कविता
कविता - क्षणिका
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं