डेंगू से डेंगी
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य कविता महेशचन्द्र द्विवेदी3 Jun 2012
डाक्टरों ने जब से डेंगू का
नाम डेंगी कर दिया है,
मेरी धर्मपत्नी के दिल में
एक नया डर भर दिया है।
पहले भी डेंगू शब्द सुनकर
उसका दिल घबरा जाता था,
उसे वह हो-ची-मिन्ह व
माउत्जे-डुंग की याद दिलाता था।
पर जब तक वह डेंगू के
मच्छर को पुल्लिंग समझती रही,
कम से कम मुझको उसके
काटने से सुरक्षित समझती रही।
अब डाक्टरों ने डेंगी नाम
देकर स्त्रीलिंग घोषित कर दिया है,
’मुझसे जरूर चिपेगी‘ इस
चिंता से उसका चैन हर लिया है।
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