देश की शान
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता अर्चना सिंह 'जया'8 Nov 2016
(14 नवम्बर, बाल दिवस पर)
बच्चो तुम हो देश की शान
रखना माता-पिता का मान।
जीवन अपना सफल बनाओ,
राष्ट्र के हित में कुछ कर जाओ।
सदा सबको हो तुम पर नाज़
हम सब के हो तुम सरताज़।
नामुमकिन को मुमकिन है करना
मुश्किल राह पर हॅंस कर चलना।
कल था तुमसे, आज है तुम्हारा
फिर कल होगा तुम्हारा आकाश।
विश्वास की लौ सर्वत्र जलाकर
मन के तम को दूर भगाकर।
जोख़िमों से ना तुम घबराना
कठिन राह भी सरल बनाना।
देश के हित में कुछ कर जाना
ध्वज को होगा तुम पर नाज।
तुम ही हो आन, बान और शान।
बच्चो तुम हो देश की शान॥
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