देश की याद
काव्य साहित्य | कविता रचना लाल19 Dec 2014
मेरी यादों का देश अब ना रहा,
मै बदल गयी, वो बदल गया
मै छोड़ के यूँ चली उसे,
मै निकल गयी, वो निकल गया
वो देश जिसमें बड़ी हुई,
लड़खड़ा के चल के खड़ी हुई,
जिस देश में ख़्वाहिशें जवान हुईं,
मैं जवान ना रही, वो जवान ना रहा
मेरी ख़्वाहिशों तम्मनाओं का देश
मेरी कोशिशों ख़्वाहिशों का देश
मेरी उम्मीदों का साहिल है तू
मेरा माज़ी और मुस्तक़बिल है तू
एक पुराने प्रेमी की तरह
मै भूल गयी वो भूल गया,
फिर भी दिलमें कसक सी है
पुरानी यादों की महक सी है
कभी तू भी मुझको याद कर
शिद्दतों से बुला मुझे
मै जिस मोड़ से पलट गयी
फिर उस मोड़ पर मिल जा मुझे
आ वक़्त का रुख मोड़ दें हम
फिर पुराने रिश्ते जोड़ लें हम
मेरी यादों, ख़्वाहिशों तम्मनाओं का देश
मैं भी लौट जाऊँ, तू भी लौट जा...
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