देशभक्त कौन?
काव्य साहित्य | कविता डॉ. मनोज कुमार15 Dec 2019 (अंक: 146, द्वितीय, 2019 में प्रकाशित)
मैं देशभक्त नहीं हूँ
देशभक्ति ने दी
समाज को, देश को
ग़रीबी, बेरोज़गारी, महँगाई
आपसी द्वेष
एक अस्त्र, मिटाने को
भाईचारा, भरने को घृणा
मिटाने को समाज
फिर देशभक्ति और देशभक्त कौन?
सच्चा देशभक्त तो किसान है
जो करता है मातृभूमि से प्यार
सींचता है, बनाता है बंजर ज़मीन
को उपजाऊ
देश के सैनिक जो रहते हैं
तैयार क़ुर्बानी को
तुम ने तो पहन रखा है काला नक़ाब
ऊपर से एक चश्मा
जो आर्थिक ग़ुलामी को
बताता है देशभक्ति
मोब लीचिंग को देता है
तमगा देशभक्ति का
तुम हो चुके हो गुमराह
तुम्हारी देशभक्ति में लग चुका है जंग
मतभेद का, ईर्ष्या का
मरती इंसानियत का
मुबारक़ हो तुम्हें तुम्हारी देशभक्ति
हमें तो चाहिए ऐसा देशभक्त
जो देश के अंदर
करे आंदोलन शिक्षा के लिए
रोज़गार के लिए, समानता के लिए
बलात्कारियों को सूली पर चढ़ाने के लिए
टैक्स के पैसे से मौज कर रहे
नेताओं से मुक्ति के लिए
आस्था ने नाम पर बाबाओं से आज़ादी के लिए
संसद में बैठे उन ढोंगियों के लिए
जो पढ़ाते है देशभक्ति का नक़ली पाठ
बाँटते है इंसान को इंसान से
समाज को समाज से
विचार को मतभेद से
इंसानियत बचाओ
तभी बचेगा इंसान, बचेगा समाज
बनेगा देश
तभी बचेगी तुम्हारी देशभक्ति
वरना फ़र्जी देशभक्ति हो तुम्हें मुबारक़
मैं देशभक्त नहीं हूँ।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं