देवी माँ तुम आ जाना
काव्य साहित्य | कविता नीलेश मालवीय ’नीलकंठ’1 Jan 2020 (अंक: 147, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
नन्ही बेटी कहती है
उम्र से ज़्यादा सहती है
करके मासूमों का शिकार
दरिंदे नहीं ले रहे डकार
उसकी लाज बचा जाना
देवी माँ तुम आ जाना
वह रोती है बिलखती है
फिर ख़ुद को ही चुप करती है
सामाजिक बंधन से वो तो
रोज़ ही तिल तिल मरती है
उसका दर्द मिटा जाना
देवी माँ तुम आ जाना
तुम तो शिव की शिवानी माता
जग की जननी जग की दाता
पालन पोषण करने वाली
जीवन हमको देने वाली
रक्षा का भी भार उठा जाना
देवी माँ तुम आ जाना
रक्तबीज का रक्त पिया था
महिषासुर का शीश लिया था
भक्तों को तुम तारने वाली
तुम ही भवानी तुम ही काली
कलयुग में भी ख़ौफ़ बता जाना
देवी माँ तुम आ जाना
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